आज के आधुनिक दौर में आमदनी बढ़ने के साथ ही पैसे बचाने और बढ़ाने के कई विकल्प मौजूद हैं। फिक्स्ड डिपॉजिट (FD), रिकरिंग डिपॉजिट (RD), और सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) – ये तीनों विकल्प सुरक्षित और भरोसेमंद माने जाते हैं। हालांकि, निवेशक अक्सर कुछ छोटी-छोटी लापरवाहियां कर बैठते हैं, जो उनके पूरे वित्तीय प्लान को कमजोर बना देती हैं। इन गलतियों को नजरअंदाज करना लंबी अवधि में भारी पड़ सकता है।
1. सिर्फ FD पर भरोसा करना पड़ सकता है भारी
सबसे आम गलती है FD को सबसे सुरक्षित मानकर पूरी बचत उसी में लगा देना। FD में पैसा सुरक्षित रहता है और रिटर्न भी तय होता है, लेकिन यह अक्सर लंबी अवधि में महंगाई को मात नहीं दे पाता।
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मुद्रास्फीति का प्रभाव: अगर मिलने वाली ब्याज दर देश की महंगाई दर से कम रही, तो आपके पैसों की असली वैल्यू (Purchasing Power) घटने लगती है।
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समाधान: बड़े और लंबे लक्ष्यों (जैसे रिटायरमेंट) के लिए सिर्फ FD पर निर्भर रहने के बजाय, ग्रोथ-ओरिएंटेड विकल्पों (जैसे SIP) को भी पोर्टफोलियो में शामिल करना चाहिए।
2. RD में अनुशासन की कमी
रिकरिंग डिपॉजिट (RD) का मुख्य उद्देश्य हर महीने बचत की आदत डालना और एक निश्चित राशि जमा करना होता है। लेकिन कई निवेशक यह गलती करते हैं कि वे किस्त समय पर जमा नहीं करते या बीच-बीच में चूक जाते हैं।
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नुकसान: समय पर भुगतान न करने पर बैंक पेनल्टी लगाते हैं, और चक्रवृद्धि ब्याज (Compounding Interest) का पूरा फायदा नहीं मिल पाता।
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आवश्यकता: RD तभी असरदार बनती है, जब हर महीने तय रकम बिना चूके, समय पर जमा की जाए।
3. SIP को बीच में रोक देना सबसे बड़ी गलती
मार्केट में हल्की सी गिरावट आते ही कई नए निवेशक घबरा जाते हैं और अपनी SIP बंद कर देते हैं। यह सबसे आम और सबसे नुकसानदायक गलती है।
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कंपाउंडिंग का नुकसान: SIP का असली फायदा लंबी अवधि में मिलता है, जहां कंपाउंडिंग (चक्रवृद्धि) और लागत औसत (Cost Averaging) का असर दिखता है। जब बाजार गिरता है, तो आपको कम कीमत पर ज्यादा यूनिट्स मिलती हैं।
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प्रभाव: बीच में रुकने से इस लागत औसत का लाभ खत्म हो जाता है, और लंबे समय की ग्रोथ का पूरा प्लान कमजोर पड़ जाता है।
4. बिना लक्ष्य के निवेश करना
अगर निवेश का कोई स्पष्ट लक्ष्य (Goal) न हो, तो सही विकल्प चुनना मुश्किल हो जाता है।
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गलत रणनीति: घर खरीदना हो (मध्यम अवधि), बच्चों की पढ़ाई (लंबी अवधि) या रिटायरमेंट (बहुत लंबी अवधि)—हर लक्ष्य के लिए अलग रणनीति जरूरी होती है।
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फायदा: लक्ष्य तय करने से निवेश की सही अवधि और आप कितना जोखिम ले सकते हैं, यह समझने में आसानी होती है।
5. इमरजेंसी फंड न होना
अचानक कोई बड़ी वित्तीय जरूरत आने पर (जैसे मेडिकल खर्च या नौकरी छूटना), लोग मजबूरी में अपनी जमा FD तोड़ देते हैं या SIP रोक देते हैं।
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प्लानिंग का बिगड़ना: इससे उनकी लंबी अवधि की प्लानिंग बिगड़ जाती है और उन्हें जुर्माना भी भरना पड़ता है।
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स्मार्ट तरीका: हमेशा 6 से 12 महीने के मासिक खर्च के बराबर एक इमरजेंसी फंड लिक्विड या आसानी से निकाले जा सकने वाले साधनों (जैसे सेविंग अकाउंट या लिक्विड फंड) में रखना बहुत जरूरी है।
स्मार्ट निवेश का मंत्र: एक ही विकल्प पर निर्भर रहने के बजाय, FD (स्थिरता), RD (अनुशासन) और SIP (ग्रोथ) को मिलाकर एक संतुलित पोर्टफोलियो बनाएँ। लक्ष्य तय करें, निवेश को समय दें, और इन छोटी गलतियों से बचें।