दिग्गज अभिनेता अनुपम खेर, जो भारतीय सिनेमा में अपने शानदार अभिनय के लिए जाने जाते हैं, हाल ही में अपनी दूसरी निर्देशित फिल्म तन्वी द ग्रेटके लॉन्च इवेंट में अपनी जिंदगी के शुरुआती संघर्षों की कहानी सुनाकर सभी को भावुक कर गए।
अनुपम खेर ने कहा, “3 जून 1981 को मैं सिर्फ 37 रुपये लेकर मुंबई आया था। न घर था, न खाना, और सड़कों पर सोता था। लेकिन इस शहर –मुंबई – ने मुझे सब कुछ दिया।” 540 से ज़्यादा फिल्मों में काम कर चुके अनुपम ने इस शहर को अपनी कामयाबी का असली कारण बताया। “येदुनिया का सबसे बड़ा दिल वाला शहर है। अगर आप मेहनत करते रहो, तो ये शहर आपको ज़रूर देखता है। भगवान मौके देता है, लेकिन ये शहरहौसला देता है।”
उन्होंने एक दिल छू लेने वाला किस्सा भी साझा किया। “संघर्ष के दिनों में मैं एक निर्माता सोहनलाल कनवर से मिलने गया। मैंने अपनी एक तस्वीरदिखाई, जिसमें मैं और मेरा एक दोस्त खड़े थे। वो लोग फोटो देखकर कहने लगे – ‘क्या हैंडसम है ये लड़का, अलग दिखता है।’ मुझे लगा शायद मुझेकाम मिल जाएगा। फिर उन्होंने पूछा – ‘इसके साथ खड़ा दूसरा लड़का कौन है?’ वो मेरा दोस्त था… लेकिन मैंने कह दिया कि वो मर गया है।” अनुपम मुस्कुराते हुए बोले, “वो मेरा दोस्त आनंद देसाई था, भगवान उसकी आत्मा को शांति दे।”
अपनी बात को समेटते हुए अनुपम खेर ने कहा, “आप यहाँ कुछ नहीं लेकर आओ, फिर भी सब कुछ बना सकते हो।” तन्वी द ग्रेट सिर्फ एक फिल्मनहीं है, बल्कि एक सपना है – ऐसा सपना जिसे अनुपम खेर अब नई पीढ़ी को सौंप रहे हैं। उनकी कहानी हर उस इंसान को उम्मीद देती है जो कुछबड़ा करने का सपना लेकर मुंबई आता है।
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