नागपुर न्यूज डेस्क: नागपुर से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां फर्जी दस्तावेजों के सहारे सरकारी स्कूलों में लोगों को प्रिंसिपल पद पर नियुक्त किया जा रहा था। आरोपियों ने इतनी सफाई से जाल बिछाया कि नियुक्ति पत्र से लेकर सैलरी आईडी तक सबकुछ असली जैसा दिखता था। इस फर्जीवाड़े का पर्दाफाश होते ही शिक्षा विभाग और पुलिस दोनों हरकत में आ गए। अब तक इस मामले में छह लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, लेकिन पुलिस का मानना है कि यह घोटाला कहीं ज्यादा बड़ा हो सकता है और आगे और भी गिरफ्तारियां हो सकती हैं।
पुलिस जांच में सामने आया है कि इस फर्जीवाड़े में शिक्षा विभाग के भीतर के अधिकारी भी शामिल हैं। आरोप है कि उपसंचालक स्तर के अधिकारी फर्जी दस्तावेज तैयार करवाते थे और फिर उन्हीं के आधार पर प्रिंसिपल और टीचर की नियुक्ति करवा दी जाती थी। फर्जी शलार्थ आईडी बनाकर इन पदों पर तैनात लोगों को वेतन भी दिलाया जा रहा था। एक शिकायत में दावा किया गया है कि लगभग 580 असली शिक्षकों की सैलरी आईडी को हैक करके उनके नाम पर डुप्लीकेट आईडी बना दी गईं।
डीसीपी जोन 2 राहुल मदने ने बताया कि आरोपी फर्जी शिक्षक पहचान संख्या बनवाकर पोर्टल पर अपलोड कर देते थे, जिससे वे सैलरी पाने के हकदार बन जाते थे। पुलिस को शक है कि अभी और स्कूलों की आईडी इस घोटाले से जुड़ी हो सकती हैं। इस सिलसिले में जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है, उनमें शिक्षण उपसंचालक उल्लास नरड, अधीक्षक निलेश मेश्राम, शिक्षा उप निरीक्षक संजय सुधाकर, लिपिक सूरज नाईक और पराग पुटके शामिल हैं। पुलिस इस मामले को एक बड़े संगठित घोटाले के तौर पर देख रही है।