नागपुर न्यूज डेस्क: नागपुर के नगर आयुक्त अभिजीत चौधरी ने बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष बिना शर्त माफी मांगते हुए कहा है कि दंगा आरोपियों की संपत्ति तोड़ने से पहले उन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की जानकारी नहीं थी। उन्होंने कोर्ट में दाखिल हलफनामे में बताया कि महाराष्ट्र सरकार की ओर से नगर निगम को इस बारे में कोई निर्देश या सर्कुलर नहीं मिला था, जिसके चलते उच्चतम न्यायालय की तय प्रक्रिया का पालन नहीं हो पाया।
चौधरी ने बताया कि नगर निकाय के अधिकारी भी इस बात से अनभिज्ञ थे कि दंगा आरोपियों की संपत्तियों पर कार्रवाई से पहले कानूनी प्रक्रिया अपनाना अनिवार्य है। अदालत ने अब महाराष्ट्र सरकार से जवाब दाखिल करने के लिए दो हफ्तों का समय दिया है। मामला 17 मार्च को नागपुर में हुई सांप्रदायिक हिंसा से जुड़ा है, जो औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग को लेकर हुए प्रदर्शन के दौरान अफवाह फैलने के बाद भड़की थी।
हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने 24 मार्च को इस मामले में मुख्य आरोपी फहीम खान और अन्य के मकानों को गिराने पर सख्त रुख अपनाया था और प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल उठाए थे। हालांकि कोर्ट का आदेश आने से पहले ही फहीम खान का दो मंजिला मकान गिरा दिया गया था। वहीं, आदेश के बाद दूसरे आरोपी यूसुफ शेख के घर का अवैध हिस्सा गिराने की कार्रवाई रोक दी गई।
अपने हलफनामे में चौधरी ने यह भी कहा कि कार्रवाई किसी दुर्भावना के तहत नहीं की गई थी, बल्कि स्थिति की गंभीरता और वैधानिक नियमों के तहत की गई थी। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि नगर नियोजन विभाग को भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले की जानकारी नहीं थी, इसलिए यह चूक अनजाने में हुई और अब वह अदालत से बिना शर्त क्षमा चाहते हैं।