नागपुर न्यूज डेस्क: महाराष्ट्र में सामने आए नागपुर शिक्षक घोटाले की आंच अब गोंदिया जिले तक पहुंच चुकी है। बताया जा रहा है कि वर्ष 2020 के आसपास जिले में कुछ शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर तत्कालीन शिक्षा अधिकारी द्वारा व्यक्तिगत स्तर पर अनुमोदन दिया गया था। इस पर तत्कालीन शिक्षा उपनिदेशक ने सवाल उठाए और कुल 52 शिक्षकों की मान्यता रद्द कर दी गई। इनमें से कुछ शिक्षकों ने हाईकोर्ट का रुख किया, जिसके बाद कोर्ट के निर्देश पर संयुक्त शिक्षा निदेशक ने दोबारा जांच कर कई शिक्षकों की बहाल की गई मान्यता के आधार पर उन्हें वेतन भी देना शुरू कर दिया।
हालांकि, इसी प्रक्रिया में 16 ऐसे शिक्षक भी थे जिनकी मान्यता फिर से खारिज कर दी गई और उन्होंने भी अदालत में याचिका दाखिल की है, जो फिलहाल लंबित है। गोंदिया के माध्यमिक विभाग के शिक्षा अधिकारी डॉ. महेंद्र गजभिये ने इस मामले पर सफाई दी है कि आगे की कार्रवाई कोर्ट के निर्णय के बाद की जाएगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वर्तमान समय में जिले में दी जा रही शिक्षकों की स्वीकृति सरकारी नियमों के अनुरूप है, इसमें कोई अनियमितता नहीं है।
जहां एक तरफ प्रदेश में बड़े पैमाने पर शिक्षक घोटाले की चर्चा जोरों पर है, वहीं गोंदिया प्रशासन इसे पूरी तरह से नकार रहा है। शिक्षा अधिकारी का कहना है कि जिला स्तर पर किसी प्रकार का फर्जीवाड़ा नहीं हुआ है। हालांकि, सच क्या है, यह तो उच्चस्तरीय जांच और न्यायालय के निर्णय के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा।