बीते दिन व्हाइट हाउस में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और 2024 में दोबारा राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल डोनाल्ड ट्रंप ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से मुलाकात की। इस दौरान ट्रंप ने मीडिया से बातचीत करते हुए कई अहम वैश्विक मुद्दों पर खुलकर बातें कीं, जिनमें अंतरराष्ट्रीय व्यापार, टैरिफ नीति और भारत समेत कई देशों के साथ चल रही सौदेबाजी शामिल रही।
भारत के साथ सौदा जल्द
ट्रंप ने साफ संकेत दिए कि अमेरिका भारत के साथ एक अहम व्यापारिक सौदे की दिशा में अग्रसर है। उन्होंने कहा, "हम भारत के साथ एक मजबूत और व्यापक समझौते के काफी करीब हैं।" इससे यह संकेत मिलता है कि आने वाले हफ्तों में दोनों देशों के बीच व्यापार, तकनीक, रक्षा और ऊर्जा क्षेत्र में बड़ी घोषणाएं हो सकती हैं।
भारत के साथ अमेरिका की व्यापारिक बातचीत पिछले कुछ वर्षों से रुक-रुक कर चल रही है। खासकर डेटा सुरक्षा, फार्मा, आईटी और कृषि उत्पादों पर सहमति बनाने की कोशिशें जारी हैं। ट्रंप की वापसी के संकेतों के साथ भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश्तों में एक नई धार आ सकती है।
ब्रिटेन और चीन से हो चुका है सौदा
ट्रंप ने बताया कि अमेरिका ने पहले ही यूनाइटेड किंगडम और चीन के साथ व्यापारिक समझौता कर लिया है। ब्रिटेन के साथ यह सौदा ब्रेक्ज़िट के बाद से लंबित था, जबकि चीन के साथ संबंधों में ट्रंप प्रशासन के दौरान टैरिफ युद्ध देखने को मिला था। अब इन समझौतों के जरिए अमेरिका वैश्विक व्यापार में खुद को फिर से सशक्त स्थिति में लाने की रणनीति पर काम कर रहा है।
"हमने सभी से बात की है" - ट्रंप का दावा
पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए ट्रंप ने कहा, "हमने सभी देशों से बातचीत की है। कई देशों के साथ डील हो चुकी है और कुछ को हम एक लेटर भेज रहे हैं।" ट्रंप ने यह भी कहा कि अमेरिका दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश है और जो देश इससे जुड़ना चाहते हैं, उनके लिए दरवाजे खुले हैं। जो देश अमेरिकी हितों के अनुकूल नहीं चलते, उनके साथ सख्ती की जाएगी।
नए टैरिफ का ऐलान और चेतावनी
हाल ही में ट्रंप ने एक बड़ा फैसला लेते हुए जापान, दक्षिण कोरिया, थाईलैंड, बांग्लादेश, म्यांमार समेत 14 देशों पर नया टैरिफ लागू करने की घोषणा की है। यह टैरिफ 1 अगस्त 2025 से लागू होंगे, जिनमें कुछ देशों पर 25 से 40 प्रतिशत तक आयात शुल्क लगाया जाएगा।
ट्रंप ने इन देशों को एक सख्त चेतावनी भी दी है:
"यदि ये देश अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाते हैं, तो अमेरिका भी अपनी दरें और बढ़ा देगा। हम व्यापार में निष्पक्षता चाहते हैं, और अगर ये देश अपनी नीतियों में बदलाव करते हैं, तो हम टैरिफ को घटाने पर भी विचार कर सकते हैं।"
यह बयान वैश्विक बाजार में हलचल पैदा कर सकता है। खासकर उन देशों के लिए जो अमेरिकी बाजारों पर निर्भर हैं।
नेतन्याहू से मुलाकात का महत्व
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से ट्रंप की यह मुलाकात कई दृष्टिकोण से अहम मानी जा रही है। मिडल ईस्ट की राजनीति, ईरान से तनाव, और अमेरिका-इजरायल रणनीतिक साझेदारी जैसे मुद्दों पर दोनों नेताओं की विचारधारा मिलती रही है। नेतन्याहू के साथ यह मुलाकात सिर्फ कूटनीतिक शिष्टाचार नहीं, बल्कि आने वाले वक्त की रणनीतिक साझेदारियों की ओर इशारा भी करती है।
निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रंप की यह प्रेस मीटिंग और नेतन्याहू के साथ बैठक इस बात का संकेत है कि अमेरिका एक बार फिर आक्रामक व्यापार नीति की ओर बढ़ रहा है। भारत जैसे देशों के लिए यह एक सुनहरा अवसर भी हो सकता है, जहां वे अमेरिका के साथ नई तकनीकी, रक्षा और व्यापारिक साझेदारी कर सकते हैं।
ट्रंप का यह संदेश भी साफ है — अमेरिका की शर्तों पर जो देश आगे बढ़ेगा, उसे लाभ मिलेगा। बाकी के लिए चुनौती बढ़ेगी। ऐसे में वैश्विक मंच पर आने वाले दिनों में कूटनीतिक और आर्थिक समीकरण तेजी से बदल सकते हैं।