मुंबई, 02 जून, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। पाकिस्तान में पानी की भारी कमी के चलते किसान फसल बुवाई के गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं। सिंधु नदी प्रणाली में जल प्रवाह में भारी गिरावट आई है, जिससे कृषि क्षेत्र पर गंभीर असर पड़ा है। सिंधु नदी सिस्टम अथॉरिटी (IRSA) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, देश में सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों के जल प्रवाह में औसतन 21% की कमी दर्ज की गई है। खैबर पख्तूनख्वा राज्य के प्रमुख बांध मंगला और तरबेला में पानी की मात्रा 50% से भी कम रह गई है।
IRSA के मुताबिक, 2 जून 2025 को पंजाब में पानी की कुल उपलब्धता 1,28,800 क्यूसेक रही, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में 14,800 क्यूसेक कम है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार भी, सिंधु नदी प्रणाली में पानी की उपलब्धता में 10.3% की गिरावट दर्ज की गई है। इस जल संकट को और भी गंभीर बनाता है भारत द्वारा सिंधु जल संधि को स्थगित किया जाना, जिसके बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ जल प्रवाह से जुड़े आंकड़े साझा करना बंद कर दिया है। इसका प्रभाव सिर्फ खेती तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि मानसून के दौरान संभावित बाढ़ प्रबंधन पर भी भारी असर पड़ेगा। पाकिस्तान में मानसून पहुंचने में अभी चार सप्ताह का समय है और तब तक के लिए हालात और बिगड़ सकते हैं। इस समय देश के ऊपर एक एंटी साइक्लोन सक्रिय है, जिससे तापमान में भारी वृद्धि हो रही है। बलूचिस्तान सहित कई इलाकों में लोग 16 घंटे तक बिजली कटौती झेल रहे हैं, जिससे गर्मी और जल संकट दोनों ही जानलेवा रूप ले चुके हैं।
इस स्थिति की पृष्ठभूमि में भारत द्वारा 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद लिए गए निर्णय हैं, जिसमें 26 टूरिस्ट्स की हत्या के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम उठाए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में सिंधु जल संधि को स्थगित करने, अटारी चेक पोस्ट और वीजा सेवाएं बंद करने और उच्चायुक्तों को हटाने जैसे फैसले लिए गए थे। इसके बाद भारत ने 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान में मौजूद आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की थी, जिससे दोनों देशों के बीच चार दिन तक संघर्ष चला। अंततः अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 10 मई को सोशल मीडिया पोस्ट के ज़रिए सीजफायर की घोषणा की थी।