Chhath Puja का क्या महत्व है? जानें

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छठ पूजा का उद्देश्य स्वास्थ्य, समृद्धि और परिवार में सुख-शांति के लिए मनाया जाता है। जिसमें व्रती निर्जल व्रत रखते हैं और सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं। यह त्योहार शुद्धता, आस्था और अनुशासन का प्रतीक भी है।

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छठ पर्व 4 दिनों तक मनाई जाती है। हर दिन का अपना विशेष महत्व है और इसे सावधानी और भक्ति के साथ निभाना चाहिए।

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(पहला दिन) छठ पर्व का सबसे पहला दिन नहाय खाय होता है। इस दिन श्रद्धालु शुद्धता का पालन करते हैं। स्नान कर साफ-सुथरे कपड़े पहनते हैं और सादा, शुद्ध भोजन करते हैं। यह शरीर और मन की पवित्रता का प्रतीक है।

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(दूसरा दिन) खरना के दिन निर्जला व्रत शुरू होता है। शाम को गुड़ और चावल का विशेष व्यंजन बनाकर खाते हैं। यह ऊर्जा और भक्ति का प्रतीक है।

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(तीसरा दिन) तीसरे दिन सूर्यास्त के समय नदी या तालाब के किनारे सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। यह दिन श्रद्धा और संयम का प्रतीक है।

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(चौथा दिन) छठ पर्व का आखिरी यानी चौथे दिन सूर्योदय के समय सूर्य देव को अर्घ्य देकर व्रत पूरा किया जाता है। यह दिन आशीर्वाद, स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक है।

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यह पर्व 36 घंटे का निर्जला उपवास होता है। इस दौरान शरीर और मन दोनों की शुद्धता आवश्यक है। नियमों का पालन कर श्रद्धा और भक्ति से पूजा करना महत्वपूर्ण है।

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