यरुशलम एक बार फिर आतंक की चपेट में आ गया। सोमवार को इजरायल की राजधानी में हुए भीषण आतंकवादी हमले में चार निर्दोष नागरिकों की जान चली गई और बीस से अधिक लोग घायल हो गए। हमले को दो बंदूकधारियों ने अंजाम दिया, जिन्होंने सड़क पर अंधाधुंध फायरिंग की। यह हमला उस समय हुआ जब लोग अपने दैनिक कार्यों में व्यस्त थे, जिससे पूरे शहर में दहशत फैल गई।
इस भयावह घटना की दुनियाभर में निंदा की जा रही है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस आतंकवादी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल "एक्स" (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर लिखा, "हम आज यरुशलम में निर्दोष नागरिकों पर हुए जघन्य आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा करते हैं। हम पीड़ितों के परिवारों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करते हैं और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं। भारत आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की निंदा करता है और आतंकवाद के प्रति अपनी शून्य सहनशीलता की नीति पर अडिग है।"
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, हमले में घायल हुए 20 लोगों में से 6 की हालत गंभीर बताई जा रही है। सड़क पर खून से लथपथ कई लोग बेहोशी की हालत में पाए गए। घटनास्थल पर पहुंचे डॉक्टरों और मेडिकल टीम ने तुरंत राहत कार्य शुरू किया और घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया। चश्मदीदों के अनुसार, गोलीबारी के दौरान सड़क पर अफरा-तफरी मच गई और कई वाहन क्षतिग्रस्त हो गए।
घटना के तुरंत बाद इजरायल के कट्टरपंथी नेता और राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री इतामार बेन-ग्वीर घटनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने कहा कि जांच जारी है और दोषियों को जल्द ही पकड़ा जाएगा। फिलहाल सुरक्षा कारणों से पश्चिमी यरुशलम में कुछ अवैध इजरायली बस्तियाँ बंद कर दी गई हैं।
इस बीच, गाजा पट्टी में इजरायल का सैन्य अभियान भी जारी है। हाल ही के हमलों में 32 फिलिस्तीनी नागरिकों की मौत हुई है, जिनमें से 19 लोग गाजा शहर में मारे गए। रिपोर्ट्स के अनुसार, इजरायली सेना ने गाजा की एक बहुमंजिला इमारत को निशाना बनाया था, जिससे बड़ी संख्या में लोगों की जान गई।
यह हमला ऐसे समय पर हुआ है जब दुनिया भर में शांति और स्थिरता की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक महसूस की जा रही है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी हाल ही में अंतरराष्ट्रीय हालात को "गंभीर चिंता का विषय" बताया था।
यरुशलम में हुआ यह आतंकवादी हमला एक बार फिर यह दर्शाता है कि आतंकवाद एक वैश्विक खतरा है, जिससे निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एकजुट होकर कार्य करना होगा। निर्दोष लोगों की जान जाना न केवल एक मानवीय त्रासदी है, बल्कि यह वैश्विक शांति के लिए एक गंभीर चुनौती भी है।