नागपुर न्यूज डेस्क: बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने एक हत्या के मामले में सत्र न्यायालय द्वारा सुनाई गई उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा है। दोषी बबन गार्डे (32 वर्ष, पुसद, यवतमाल) पर अपनी पत्नी सुधा की हत्या का आरोप था। अदालत ने अपील खारिज करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष ने आरोपी का अपराध संदेह से परे साबित कर दिया है।
मामले का विवरण बताते हुए न्यायालय ने कहा कि बबन और सुधा के बीच विवाहेतर संबंधों और शक के कारण झगड़े होते थे। वर्ष 2003 में बबन ने अपनी पत्नी का गला दबाकर हत्या कर दी। सुधा अपने मायके वालों से भी शिकायत कर चुकी थी। घटना के समय पत्नी अपने वैवाहिक घर में थी और आरोपी अपनी छोटी बच्ची के साथ मौजूद था।
न्यायालय ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया कि चिकित्सा साक्ष्य से साबित होता है कि मृत्यु आत्महत्या नहीं बल्कि गला दबाने से हुई है। अदालत ने कहा कि परिस्थितियां इस बात की पुष्टि करती हैं कि यह अपराध आरोपी ने ही किया और किसी भी प्रकार उसके निर्दोष होने से मेल नहीं खातीं।
न्यायालय ने सर्वोच्च न्यायालय के त्रिमुख मारोती किरकान बनाम महाराष्ट्र राज्य मामले का हवाला देते हुए कहा कि न्यायाधीश का कर्तव्य केवल निर्दोष को दंड से बचाना नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना भी है कि कोई दोषी व्यक्ति दंड से बच न पाए। दोनों जिम्मेदारियां समान रूप से महत्वपूर्ण हैं।