नागपुर न्यूज डेस्क: मौसम में हो रहे उतार-चढ़ाव ने नागपुर सहित विदर्भ में मलेरिया का खतरा बढ़ा दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, तापमान, बारिश और नमी सीधे तौर पर मलेरिया के फैलाव को प्रभावित करते हैं। खासकर 20 से 33 डिग्री सेल्सियस के बीच का तापमान मच्छरों और परजीवियों के विकास के लिए सबसे अनुकूल माना जाता है। बारिश से जगह-जगह पानी जमा हो जाता है और नमी बढ़ने पर मच्छर ज्यादा समय तक जीवित रहते हैं, जिससे मलेरिया फैलने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।
नागपुर का मौजूदा मौसम भी इस खतरे को और गहरा कर रहा है। जुलाई में यहां सामान्य से करीब 50% ज्यादा यानी 475 मिमी बारिश हुई। वहीं, औसत नमी 70–80% तक रही और तापमान 28 डिग्री सेल्सियस के आसपास दर्ज किया गया। ये सभी हालात वही हैं, जिन्हें रिसर्च में मलेरिया के लिए सबसे खतरनाक बताया गया था। यही वजह है कि स्वास्थ्य विभाग को अगस्त और सितंबर में संभावित मामलों के लिए अलर्ट रहने की जरूरत है।
बरसात के मौसम में जगह-जगह पानी भर जाने से ‘एनोफिलीज़ कुलीसीफेसीज़’ प्रजाति के मच्छर सबसे ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं। यही मच्छर मलेरिया फैलाते हैं। इनकी संख्या बढ़ने पर संक्रमण का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। रिपोर्ट यह भी बताती है कि मलेरिया के केस महिलाओं की तुलना में पुरुषों में ज्यादा सामने आते हैं और 15 साल से ऊपर की उम्र के लोग इसका ज्यादा शिकार होते हैं। जुलाई से नवंबर के बीच सबसे अधिक मामले दर्ज होते हैं।
महाराष्ट्र में मानसून की स्थिति भी मलेरिया के प्रसार को बढ़ावा दे रही है। कुछ दिन पहले बारिश कमजोर हुई थी, लेकिन उसके बाद दोबारा बारिश ने मच्छरों के प्रजनन के लिए अनुकूल वातावरण बना दिया। इस दौरान मच्छरों में मौजूद मलेरिया परजीवी (पैरासाइट) संक्रमण फैलाने में ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं। यही कारण है कि इस बार विदर्भ क्षेत्र में मलेरिया का प्रकोप और भी गंभीर हो सकता है।