नागपुर न्यूज डेस्क: प्रदेश के नगरीय निकायों में भारी बिजली बिलों से राहत पाने के लिए अब ऊर्जा बिल का ऑडिट कराया जाएगा। इस पहल के तहत राज्य के सभी 184 नगर निगम, नगरपालिका और नगर पंचायतों की बिजली खपत की जांच की जाएगी। यह जिम्मेदारी नागपुर की डीआर कंसलटेंट को सौंपी गई है। इस ऑडिट से असल खपत और फिजूल सरचार्ज का साफ-साफ अंदाजा मिल सकेगा।
दरअसल, निकायों पर एक हजार करोड़ से ज्यादा का बिजली बिल बकाया है, और आमदनी कम होने की वजह से यह बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। पेयजल आपूर्ति, स्ट्रीट लाइट्स जैसे कामों के लिए हजारों बिजली कनेक्शन लगाए गए हैं, जिन पर हर महीने भारी बिल आता है। इसके चलते निकायों का सामान्य कामकाज भी प्रभावित हो रहा है।
सरकार ने ऑडिट प्रक्रिया को मिशन मोड में पूरा करने के निर्देश दिए हैं। सभी नगर निगमों में नोडल अधिकारी और सहायक नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे, जबकि नगर पालिकाओं और पंचायतों में CMO और वरिष्ठ अभियंता को यह जिम्मेदारी दी जाएगी। साथ ही 25 जुलाई तक सभी निकायों से मीटरों और जिम्मेदार कर्मचारियों की पूरी जानकारी मांगी गई है।
ऑडिट के जरिए हर निकाय की स्ट्रीट लाइट, बोरवेल, वाटर और सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में बिजली की खपत का विश्लेषण होगा। इसके लिए GIS आधारित जियोग्राफिकल डेटा तैयार किया जाएगा, ताकि सुधार के सुझाव दिए जा सकें। इन सुधारों के लागू होने के बाद निकायों पर बिजली के बकाया का बोझ काफी हद तक कम हो सकता है।