पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की हालिया अलास्का में हुई मुलाकात से जुड़ी कई अनदेखी बातें अब सामने आ रही हैं। खासतौर पर एक ऐसा सुरक्षा प्रोटोकॉल जिसने सबको हैरान कर दिया—रूस ने अपने राष्ट्रपति का मल (stool) एक विशेष “Poop Suitcase” यानी “पूप सूटकेस” में लेकर जाने का इंतजाम किया था।
Poop Suitcase क्या है और क्यों जरूरी?
अलास्का शिखर सम्मेलन के दौरान, पुतिन के बॉडीगार्ड्स (Federal Protection Service या FPS) उनके मल को इकट्ठा कर विशेष थैलों में पैक कर लेकर रूस वापस ले गए। उद्देश्य था: विदेशी खुफिया एजेंसियों को उनके स्वास्थ्य संबंधी जानकारी इकट्ठा करने से रोकना। फेकबायोलॉजिकल सैंपल, जैसे मल, स्वास्थ्य की गहरी जानकारी दे सकते हैं—चाहे वह जेनेटिक डिसऑर्डर हों, इलाज की जानकारी या अन्य मेडिकल डेटा IndiatimesIndiatimesmint।
Paris Match के पत्रकार Regal Gente और Mikhail Rubin की रिपोर्ट के मुताबिक, यह प्रोटोकॉल कम से कम 1999 से लागू है, और इस तरह की व्यवस्था 2017 में फ्रांस, वियना यात्रा, और शायद और कई विदेशी दौरों में अपनाई गई है IndiatimesIndia TodayBusiness Insider।
तकनीकी और सुरक्षा दृष्टिकोण
The Sun के अनुसार, “पूप सूटकेस” केवल आतंकी खतरे से सुरक्षा नहीं है, बल्कि इससे यह सुनिश्चित होता है कि किसी भी प्रकार की बायोलॉजिकल प्रोफाइलिंग या स्वास्थ्य की जानकारी विदेशी एजेंसियों तक न पहुंच सके। इस दौरान पुतिन को घेरते हुए मुशकेटीयर निकाय (Musketeers) नामक FSO सुरक्षा बल, इलेक्ट्रॉनिक जैमर्स, आर्म्ड पदाधिकारियों का काफिला, और एक न्यूक्लियर ब्रीफकेस (“Cheget”) भी मौजूद था The SunThe Economic Times।
स्वास्थ्य को लेकर बढ़ी अटकलें
अस्पष्ट शारीरिक व्यवहार—जैसे प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उत्तेजित पैर की हलचल या बैठक के दौरान झटके—ने पुतिन की सेहत को लेकर न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर जैसे पार्किंसंस की अटकलों को हवा दी है। हालांकि, Kremlim ने इसे बार-बार खारिज किया है IndiatimesIndia Today।
इस संदर्भ में यह प्रोटोकॉल एक कठोर रक्षा रणनीति का हिस्सा है—राष्ट्रपति से जुड़ी हर चीज़ विदेशी नजरों से सुरक्षि
निष्कर्ष: सुरक्षा या अति-सुरक्षा?
पुतिन के "Poop Suitcase" प्रोटोकॉल ने यह स्पष्ट कर दिया कि वे अपने निजी स्वास्थ्य संबंधी डेटा को किसी भी कीमत पर गोपनीय रखना चाहते हैं। चाहे इसे कुछ लोग “अति-सुरक्षा” कहें या समर्पण की रणनीति, यह प्रोटोकॉल पुतिन की सुरक्षा व्यवस्था की गहराई और रूसी सुरक्षा मशीनरी की सतर्कता को दर्शाता है।
यही कारण है कि इस प्रकार के सुरक्षा इंतजाम दूसरे विश्व नेताओं के लिए अपेक्षाकृत असामान्य तो लगते हैं, लेकिन एक बड़े संदर्भ में देखें तो यह अर्ध-युद्धकालीन खुफिया रणनीति का हिस्सा कहलाते हैं।