‘कोई हिंदुओं को कलमा पढ़कर नहीं मार…’ बलोच नेता का पाकिस्तान को खुला चैलेंज

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Posted On:Friday, May 9, 2025

भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच अब पाकिस्तान को एक और मोर्चे पर चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। बलूचिस्तान, जो पहले भी पाकिस्तान से अपनी स्वतंत्रता की मांग करता रहा है, अब पाकिस्तानी सेना के खिलाफ अपनी लड़ाई तेज कर रहा है। विशेष रूप से, बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने पाकिस्तान के खिलाफ हमले बढ़ा दिए हैं, और बलूचिस्तान की राजधानी क्वेटा में पाकिस्तानी सेना की कई पोस्टों पर कब्जा करने का दावा किया है। भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुई एयर स्ट्राइक के बाद बलूचिस्तान के विद्रोहियों ने अपने मोर्चे को और भी तेज कर दिया है, जिससे पाकिस्तान को अब एक नई चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।

BLA और पाकिस्तानी सेना के बीच संघर्ष

बलूचिस्तान में विद्रोही समूह बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) लंबे समय से पाकिस्तान के खिलाफ संघर्ष कर रहा है। बीते कुछ महीनों में, BLA ने अपनी गतिविधियों को तेज कर दिया है, और अब पाकिस्तान की सेना को बलूचिस्तान में गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, BLA ने पाकिस्तानी सेना की कई पोस्टों पर हमला कर कब्जा किया और उसे पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। बलूचिस्तान के विभिन्न हिस्सों में पाकिस्तानी सेना का नियंत्रण अब कमजोर पड़ता दिखाई दे रहा है, और इसे बलूच विद्रोहियों के आक्रमण का परिणाम माना जा रहा है।

BLA का प्रमुख उद्देश्य बलूचिस्तान को पाकिस्तान से स्वतंत्र करना है। बलूच नेता समय-समय पर पाकिस्तान सरकार और सेना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और हमले करते आए हैं। इन हमलों के दौरान, BLA ने न केवल सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया, बल्कि नागरिक और राजनीतिक प्रतिष्ठानों पर भी हमले किए हैं। अब, भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान में किए गए एयर स्ट्राइक के बाद, बलूचिस्तान में विद्रोहियों की सक्रियता और भी बढ़ गई है।

मीर यार बलोच का बयान: पाकिस्तान को चेतावनी

बलूचिस्तान के प्रमुख नेता मीर यार बलोच ने एक सभा के दौरान पाकिस्तान के खिलाफ अपनी स्थिति को स्पष्ट किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने कहा, "पाकिस्तानी सेना को किसी भी हिंदू को कलमा पढ़कर मारने की हिम्मत नहीं होगी।" उनका यह बयान विशेष रूप से पहलगाम में हुए हमले के संदर्भ में था, जिसमें पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने निर्दोष नागरिकों की हत्या की थी। मीर यार बलोच ने आगे कहा कि बलूचिस्तान का संघर्ष सिर्फ पाकिस्तान के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह पूरे क्षेत्र को आतंकवाद से मुक्त करने के लिए है।

उन्होंने अपने बयान में यह भी कहा कि "हमारी लड़ाई असली शांति की बहाली के लिए है, जहां कोई पाकिस्तानी किसी हिंदू से कलमा पढ़ने की हिम्मत नहीं करेगा और न ही उसकी हत्या करने की कोशिश करेगा।" बलूचिस्तान में यह आंदोलन न केवल पाकिस्तान के खिलाफ है, बल्कि यह मानवाधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए भी है। मीर यार बलोच ने अपने बयान में बलूचिस्तान की स्वतंत्रता के लिए अपनी पूरी ताकत लगाने की बात की और साथ ही कहा कि बलूचिस्तान का संघर्ष एक वैश्विक उद्देश्य की ओर अग्रसर है, जो आतंकवाद और अत्याचारों के खिलाफ है।

बलूचिस्तान की स्वतंत्रता की मांग

बलूचिस्तान की आज़ादी की मांग पाकिस्तान से पहले से ही एक गंभीर और लंबी प्रक्रिया रही है। बलूचिस्तान का क्षेत्र समृद्ध प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है, लेकिन पाकिस्तान द्वारा इसे नियंत्रित किए जाने के बावजूद यहां के लोग लंबे समय से अपनी स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रहे हैं। पाकिस्तानी सेना और सरकार ने बलूच लोगों की इस मांग को लगातार दबाने की कोशिश की है, और इस संघर्ष को न केवल सैन्य बल से, बल्कि राजनीतिक और कूटनीतिक माध्यमों से भी शांत करने की कोशिश की है।

लेकिन बलूचिस्तान की स्वतंत्रता की यह मांग समय के साथ और भी मजबूत हुई है, खासकर तब से जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ा है। बलूचिस्तान की जनता ने महसूस किया है कि पाकिस्तान उनकी स्वतंत्रता को दबा रहा है और उनके अधिकारों का उल्लंघन कर रहा है। यही वजह है कि BLA जैसे संगठनों ने अब पाकिस्तान के खिलाफ अपनी लड़ाई को और तेज कर दिया है।

भारत और बलूचिस्तान का गठजोड़

भारत ने हमेशा बलूचिस्तान के संघर्ष का समर्थन किया है, हालांकि, आधिकारिक रूप से भारत इस मुद्दे पर कुछ भी कहने से बचता रहा है। पाकिस्तान के खिलाफ भारत की रणनीति को लेकर बलूचिस्तान के नेताओं ने कभी भी अपनी आवाज़ उठाई है, और भारत द्वारा बलूचिस्तान की स्वतंत्रता की स्थिति पर सहानुभूति व्यक्त की गई है। मीर यार बलोच ने भी इस संदर्भ में भारत का समर्थन किया है और कहा है कि उनका संघर्ष केवल बलूचिस्तान की आज़ादी के लिए नहीं है, बल्कि यह एक बड़ी वैश्विक लड़ाई है, जो आतंकवाद और उत्पीड़न के खिलाफ है।

पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ी

अब जब पाकिस्तान को दोहरी मार का सामना करना पड़ रहा है—भारत से एक ओर बलूचिस्तान से दूसरी—उसकी स्थिति और भी जटिल हो गई है। पाकिस्तान की सेना को एक ओर भारत के साथ सामरिक टकराव का सामना करना पड़ रहा है, और दूसरी ओर बलूचिस्तान में विद्रोहियों की आक्रामकता ने उसकी स्थिति को कमजोर कर दिया है। ऐसे में पाकिस्तान को न केवल बाहरी मोर्चे पर, बल्कि आंतरिक रूप से भी संघर्षों का सामना करना पड़ रहा है।

निष्कर्ष

भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच बलूचिस्तान का पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में शामिल होना पाकिस्तान के लिए नई चुनौतियाँ लेकर आया है। बलूचिस्तान में विद्रोही गतिविधियाँ तेज हो गई हैं और पाकिस्तान की सेना को अब दोनों मोर्चों पर संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है। मीर यार बलोच जैसे नेता पाकिस्तान के खिलाफ खुलकर बोल रहे हैं और बलूचिस्तान की स्वतंत्रता की मांग को और भी मजबूत कर रहे हैं। पाकिस्तान के लिए यह स्थिति कहीं न कहीं दोहरी चुनौती का रूप ले चुकी है।


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