नागपुर न्यूज डेस्क: सेवाग्राम, जिसे बापूनगरी के नाम से जाना जाता है, अब भारतीय जनता पार्टी के संगठनात्मक मंथन का केंद्र बनने जा रहा है। 28 जुलाई को यहां के ऐतिहासिक चरखा भवन में भाजपा की विदर्भ स्तरीय पदाधिकारी बैठक आयोजित होगी। सुबह के उद्घाटन सत्र में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र चव्हाण और राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले उपस्थित रहेंगे, जबकि समापन सत्र को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस संबोधित करेंगे। इस अहम बैठक में विदर्भ के सांसद, विधायक, पूर्व सांसद, पदाधिकारी और करीब 700 प्रतिनिधि भाग लेंगे।
भाजपा इस बैठक के जरिए आगामी स्थानीय निकाय चुनावों — जिनमें मनपा और जिप के चुनाव शामिल हैं — के लिए रणनीति तय करने वाली है। पार्टी ने 2029 तक राज्य में अकेले सत्ता में आने का लक्ष्य रखा है, और इसके लिए सदस्यता अभियान तेज किया गया है। महिला और युवा मोर्चों को 25-25 लाख, अन्य मोर्चों को 5-5 लाख और प्रकोष्ठों को 2-2 लाख सदस्य बनाने का टारगेट दिया गया है। यह बैठक संगठन की मौजूदा स्थिति की समीक्षा और आगे की दिशा तय करने में निर्णायक साबित हो सकती है।
संगठन को ज्यादा प्रभावी बनाने के लिए भाजपा ने ढांचे में कई बदलाव किए हैं। अब एक विधानसभा क्षेत्र में एक के बजाय 3-4 मंडल अध्यक्ष नियुक्त किए जा रहे हैं, और जिलों का विभाजन कर दो जिला अध्यक्ष भी बनाए गए हैं। इस नई व्यवस्था में पदाधिकारियों को उनकी भूमिका, उम्मीदवार चयन की प्रक्रिया और सहयोगी दलों के समन्वय का प्रशिक्षण दिया जाएगा। ये कदम चुनावी तैयारी के साथ-साथ जमीनी कार्य को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से उठाए गए हैं।
हालांकि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की इस बैठक में उपस्थिति अभी तय नहीं है। वहीं, गांधीवादी संगठनों के बीच भी यह बैठक चर्चा का विषय बनी हुई है, खासकर इसलिए क्योंकि भाजपा की यह बैठक सेवाग्राम में हो रही है, जहां कांग्रेस की कई बैठकें पहले हो चुकी हैं। मुख्यमंत्री फडणवीस की मौजूदगी और अर्बन नक्सल मुद्दे पर हालिया बयानबाज़ी से यह सवाल उठ रहा है कि क्या भाजपा इस मंच के जरिए गांधीवादियों को कोई संकेत देना चाहती है।