नागपुर न्यूज डेस्क: महाराष्ट्र में कुरैशी समुदाय से जुड़े बूचड़खाने और मांस व्यापारियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा कर दी है। ये लोग गौरक्षक समूहों और पुलिस की कार्रवाई से परेशान हैं। इनका आरोप है कि कानूनी दस्तावेज होने के बावजूद उन्हें रास्तों में रोका जाता है, धमकाया जाता है और मारपीट की जाती है। अब नागपुर समेत पूरे राज्य में पशु व्यापार और मांस निर्यात का काम पूरी तरह ठप कर दिया गया है। समुदाय का कहना है कि सरकार और पुलिस दोनों उनकी बात नहीं सुन रहे, इसलिए उन्होंने हड़ताल का रास्ता चुना है।
नागपुर के मोमिनपुरा इलाके में कुरैशी समुदाय के सैकड़ों लोग सड़कों पर उतर आए और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। उनका कहना है कि जब कोई मुस्लिम, खासकर कुरैशी या पठान जानवर खरीदता है तो उसे अपराधी की तरह देखा जाता है। जबकि उनका व्यापार पूरी तरह वैध और दस्तावेजों के साथ होता है। बावजूद इसके उन्हें झूठे केसों में फंसाया जाता है और कई बार हिंसा का भी शिकार होना पड़ता है। अब उन्होंने सरकार से साफ कहा है कि जब तक उन्हें सुरक्षा की गारंटी नहीं मिलेगी, वे काम पर नहीं लौटेंगे।
कुरैशी नेताओं का कहना है कि इस हड़ताल से सिर्फ उनका समुदाय ही नहीं, बल्कि हजारों किसान भी प्रभावित होंगे जो मंडियों में अपने जानवर बेचते हैं। विदर्भ क्षेत्र में रोज़ाना करीब 4,000 पशुओं की खरीद-बिक्री होती है। इस हड़ताल से हर हफ्ते करीब 8,000 पशुओं का कारोबार रुक जाएगा। ऑल इंडिया कुरैशी जमीयत ने संभाजीनगर में एक बड़ी बैठक भी बुलाई, जिसमें 36 जिलों से लोग शामिल हुए। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन रोजगार और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए है, न कि किसी धर्म आधारित प्रतिक्रिया के तौर पर।
कुरैशी समाज का आरोप है कि सरकार जानबूझकर उनके पारंपरिक कारोबार को खत्म करना चाहती है। उन्होंने कई ज्ञापन भी सरकार को सौंपे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही। उनका दावा है कि गौरक्षक गुंडों को राज्य सरकार की अप्रत्यक्ष मदद मिल रही है। अब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अन्य वरिष्ठ मंत्री इस मसले पर कुरैशी समुदाय से बातचीत करेंगे। समुदाय की मांग है कि उनके व्यवसाय को कानूनी सुरक्षा दी जाए और बेवजह की छापेमारी और उत्पीड़न पर रोक लगे।