वॉशिंगटन – अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रथम महिला मेलानिया ट्रंप ने हाल ही में एक बेहद संवेदनशील और महत्वपूर्ण अधिनियम पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसे 'टेक इट डाउन एक्ट' नाम दिया गया है। यह कानून इंटरनेट पर बढ़ते यौन शोषण, विशेषकर रिवेंज पोर्न और डीपफेक तकनीक के दुरुपयोग को रोकने के लिए लाया गया है। इस अधिनियम का उद्देश्य पीड़ितों को कानूनी सुरक्षा देना और इंटरनेट को एक सुरक्षित माध्यम बनाना है।
क्या है ‘टेक इट डाउन एक्ट’?
‘टेक इट डाउन एक्ट’ एक ऐसा कानून है जो किसी भी व्यक्ति की सहमति के बिना उसकी अंतरंग तस्वीरें या वीडियो इंटरनेट पर साझा करने को अपराध घोषित करता है। इसमें यह भी प्रावधान है कि यदि कोई व्यक्ति इस तरह की सामग्री को हटाने के लिए शिकायत करता है, तो वेबसाइटों और सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्मों को 48 घंटे के भीतर वह सामग्री हटानी होगी।
इस कानून में AI-जनित डीपफेक को भी शामिल किया गया है, जहां किसी व्यक्ति की नकली अश्लील छवि या वीडियो बनाकर उसे प्रसारित किया जाता है। यदि कोई ऐसा करता है, तो तीन साल तक की सजा और आर्थिक दंड का प्रावधान किया गया है।
रिवेंज पोर्न क्या होता है?
‘रिवेंज पोर्न’ का मतलब होता है – किसी व्यक्ति की आपत्तिजनक या यौन स्पष्ट तस्वीरें/वीडियो को उसकी सहमति के बिना इंटरनेट पर साझा करना, आमतौर पर बदला लेने की भावना से। यह अपराध आमतौर पर पूर्व प्रेमी/प्रेमिका या परिचितों द्वारा किया जाता है, जिससे पीड़ित को मानसिक, सामाजिक और व्यक्तिगत नुकसान होता है।
यह कानून महिलाओं, नाबालिगों और कमजोर वर्गों को ऐसे अपराधों से बचाने के लिए एक बड़ा कदम है।
AI और डीपफेक को भी शामिल किया गया
‘टेक इट डाउन एक्ट’ की सबसे खास बात यह है कि इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) द्वारा बनाए गए डीपफेक कंटेंट को भी अपराध की श्रेणी में रखा गया है। डीपफेक एक तकनीक है जिससे किसी के चेहरे या आवाज को नकली तौर पर किसी अन्य वीडियो पर लगाकर अश्लील या भ्रामक सामग्री बनाई जाती है।
अब अगर कोई व्यक्ति किसी महिला या पुरुष का नकली अश्लील वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डालेगा, तो उस पर कठोर कानूनी कार्यवाही की जाएगी।
मेलानिया ट्रंप की सक्रिय भूमिका
प्रथम महिला मेलानिया ट्रंप इस अधिनियम को लेकर शुरू से ही गंभीर रही हैं। उन्होंने बच्चों और किशोरों को इंटरनेट पर “दुष्ट और हानिकारक व्यवहार” से बचाने के लिए इस कानून की आवश्यकता पर बल दिया था। अधिनियम पर प्रतीकात्मक हस्ताक्षर करते हुए उन्होंने कहा:
"यह कानून अमेरिका के बच्चों और परिवारों को ऑनलाइन हिंसा से सुरक्षित रखने की दिशा में एक राष्ट्रीय जीत है।"
राष्ट्रपति ट्रंप ने भी मजाकिया लहजे में मेलानिया को प्रोत्साहित किया –
“चलो, वैसे भी इस पर हस्ताक्षर कर दो। वह इस पर हस्ताक्षर करने की पूरी हकदार हैं।”
राष्ट्रपति ट्रंप का बयान
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कानून को हस्ताक्षरित करने के बाद स्पष्ट रूप से कहा:
“अब यदि कोई व्यक्ति किसी की सहमति के बिना उसकी निजी तस्वीरें या वीडियो साझा करता है, तो उसे तीन साल तक की सजा हो सकती है।”
उन्होंने यह भी कहा कि सोशल मीडिया कंपनियों की जवाबदेही अब और अधिक होगी, और उन्हें ऐसे कंटेंट को तेजी से हटाना होगा। यह अधिनियम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और गोपनीयता के संतुलन को स्थापित करने का प्रयास है।
कानून का असर और सामाजिक संदेश
यह अधिनियम केवल अमेरिका के लिए नहीं, बल्कि पूरे विश्व के लिए एक उदाहरण है कि इंटरनेट पर हो रहे शोषण को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। ऑनलाइन पोर्न, डीपफेक और साइबर धमकियों से पीड़ित हजारों लोगों के लिए यह कानून उम्मीद की एक किरण है।
अब जब अमेरिका जैसे देश में ऐसा सख्त कानून लागू किया गया है, तो भारत समेत अन्य लोकतांत्रिक देशों को भी चाहिए कि वे इस दिशा में ठोस कदम उठाएं और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर व्यक्तिगत स्वतंत्रता और गरिमा की रक्षा करें।
निष्कर्ष: टेक्नोलॉजी से लड़ने के लिए चाहिए कानून का हथियार
‘टेक इट डाउन एक्ट’ दिखाता है कि जब तकनीक का दुरुपयोग होता है, तो समाज को उसकी रक्षा के लिए कानून का सहारा लेना ही पड़ता है। डोनाल्ड और मेलानिया ट्रंप की यह पहल न सिर्फ एक राजनीतिक कदम है, बल्कि यह एक मानवीय और नैतिक जिम्मेदारी का प्रतीक भी है।
अब दुनिया को देखना होगा कि कैसे यह अधिनियम आने वाले समय में ऑनलाइन स्पेस को और अधिक सुरक्षित और सम्मानजनक बनाता है।