अमेरिकी राजनीति में इन दिनों एक जबरदस्त ड्रामा चल रहा है, और इसके केंद्र में हैं दो सबसे प्रभावशाली चेहरे — अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और टेस्ला के मालिक एलन मस्क। दोनों के बीच शुरू हुआ विवाद अब सड़क से सोशल मीडिया तक और सत्ता के गलियारों से अदालत तक पहुंचने की आशंका पैदा कर रहा है। मामला सिर्फ विचारों के टकराव तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अब ब्लैकमेलिंग, सरकारी सब्सिडी और महाभियोग जैसे शब्दों में तब्दील हो गया है।
सब्सिडी बनाम ब्लैकमेल: सियासी धमकियों की नई जंग
इस पूरे विवाद की शुरुआत उस समय हुई जब राष्ट्रपति ट्रंप ने एलन मस्क की कंपनियों को मिलने वाली सरकारी सब्सिडी बंद करने की धमकी दी। ट्रंप का कहना है कि मस्क अब उनकी नीतियों और नेतृत्व के खिलाफ बोल रहे हैं, जबकि उन्होंने अतीत में मस्क को हर संभव समर्थन दिया था — चाहे वह स्पेसएक्स को सरकारी अनुबंध देना हो या टेस्ला को टैक्स बेनिफिट्स।
जवाब में मस्क ने ऐसा कार्ड चला, जिससे अमेरिकी राजनीति में भूकंप आ सकता है। उन्होंने सोशल मीडिया साइट X पर सार्वजनिक रूप से “एपस्टीन फाइल्स” का जिक्र किया और कहा कि “सच सामने आ गया तो ट्रंप की गद्दी हिल जाएगी।” मस्क के इस बयान ने मीडिया और राजनीतिक गलियारों में उथल-पुथल मचा दी है।
क्या हैं एपस्टीन फाइल्स?
एलन मस्क जिन एपस्टीन फाइल्स का लगातार उल्लेख कर रहे हैं, वे अमेरिका के एक कुख्यात अरबपति जेफरी एपस्टीन से जुड़ी हैं। एपस्टीन पर 2019 में यौन शोषण, कम उम्र की लड़कियों की तस्करी, और हाई प्रोफाइल क्लाइंट्स को यौन सेवाएं देने के आरोप लगे थे।
इस पूरे मामले का भंडाफोड़ किया था वर्जीनिया ग्रिफ्रे नामक महिला ने, जिन्होंने एपस्टीन और उसकी सहयोगी घिसलीन मैक्सवेल पर आरोप लगाए थे कि उन्होंने उन्हें लालच देकर इस घिनौने धंधे में धकेला। ग्रिफ्रे ने यह भी दावा किया था कि उन्हें एपस्टीन ने कई प्रभावशाली राजनीतिज्ञों और राजघरानों के सदस्यों के पास भेजा, जिन्होंने उनका शोषण किया।
ट्रंप का नाम कैसे आया इस विवाद में?
हालांकि अभी तक जारी फाइलों में राष्ट्रपति ट्रंप का नाम प्रत्यक्ष रूप से नहीं आया है, लेकिन यह बात आम मानी जाती है कि ट्रंप और एपस्टीन बेहद करीबी दोस्त थे। दोनों को कई बार साथ देखा गया है और पुरानी तस्वीरें भी इसकी पुष्टि करती हैं।
इस नजदीकी की वजह से ट्रंप हमेशा इस मामले के संदिग्ध घेरे में रहे हैं, हालांकि उन्होंने बार-बार दावा किया है कि एपस्टीन से उनका संपर्क वर्षों पहले टूट गया था।
मस्क अब इसी करीबी को ट्रंप के खिलाफ राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। उनका इशारा साफ है — अगर ट्रंप उनके खिलाफ कार्रवाई करते हैं, तो वे एपस्टीन से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक कर सकते हैं, जिनमें ट्रंप से जुड़ी संभावित जानकारियां हो सकती हैं।
महाभियोग का नया शिगूफा
मस्क ने X पर लिखा कि अगर सच सामने आया, तो ट्रंप के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। हालांकि अमेरिका की संवैधानिक प्रक्रिया में किसी राष्ट्रपति को महाभियोग लाकर हटाना बेहद कठिन और लंबा रास्ता होता है, लेकिन मस्क का यह बयान निश्चित ही ट्रंप प्रशासन के लिए सिरदर्द बन सकता है।
मीडिया और विपक्षी दल इस बयान को गंभीरता से ले रहे हैं। कई लोगों ने मस्क से एपस्टीन फाइल्स को सार्वजनिक करने की मांग की है। वहीं कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि मस्क राजनीतिक दबाव बनाने के लिए यह एक रणनीतिक चाल खेल रहे हैं।
ट्रंप समर्थकों की प्रतिक्रिया
ट्रंप के समर्थकों ने मस्क के इस कदम को ब्लैकमेलिंग और निजी बदले की भावना बताया है। उनका कहना है कि मस्क अपनी सरकारी फायदे बचाने के लिए ट्रंप को धमका रहे हैं। सोशल मीडिया पर ट्रंप समर्थक मस्क को "स्वार्थी अरबपति" और "गद्दार" तक कह रहे हैं।
वहीं मस्क समर्थक इसे "सच को सामने लाने की कोशिश" और "राजनीतिक पारदर्शिता" बता रहे हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर ‘#EpsteinFiles’ और ‘#ImpeachTrump’ ट्रेंड कर रहे हैं।
क्या ट्रंप-मस्क विवाद अमेरिका की राजनीति बदल देगा?
यह कहना मुश्किल है कि मस्क वास्तव में एपस्टीन फाइल्स को उजागर करेंगे या यह केवल एक राजनीतिक हथकंडा है। लेकिन यह बात अब साफ हो गई है कि ट्रंप और मस्क के रिश्ते अब पूरी तरह टूट चुके हैं।
अगर मस्क वाकई कुछ बड़ा उजागर करते हैं, तो यह अमेरिका की राजनीति में एक ऐतिहासिक मोड़ हो सकता है। इससे ट्रंप की लोकप्रियता पर असर पड़ सकता है और आने वाले चुनावों में इसकी बड़ी भूमिका भी हो सकती है।
निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रंप और एलन मस्क के बीच छिड़ा यह संग्राम अब व्यक्तिगत से लेकर संवैधानिक दायरे तक पहुंच चुका है। एक तरफ ट्रंप अपनी ताकत और सत्ता का इस्तेमाल कर रहे हैं, वहीं मस्क अपनी संपत्ति, सोशल मीडिया और ‘राज़’ के दम पर मुकाबला कर रहे हैं। आने वाले हफ्तों में यह देखना रोचक होगा कि क्या वाकई एपस्टीन फाइल्स का जिन्न बाहर आता है, या यह सिर्फ एक सियासी शोर बनकर रह जाएगा।