18 अक्टूबर 2025 का दिन धार्मिक और ज्योतिषीय दोनों ही दृष्टियों से असाधारण महत्व रखता है। आज से पांच दिवसीय दीपावली महोत्सव का विधिवत आरंभ हो रहा है, जिसकी शुरुआत धनतेरस के पावन पर्व से हो रही है। यह दिन धन के देवता कुबेर, धन और समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी, और आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि को समर्पित है।
पंचांग- 18.10.2025🌅
युगाब्द - 5126
संवत्सर - सिद्धार्थ
विक्रम संवत् -2082
शाक:- 1947
ऋतु __ शरद
सूर्य __ दक्षिणायन
मास __ कार्तिक
पक्ष __ कृष्ण पक्ष
वार __ शनिवार
तिथि- द्वादशी 12:18:29
नक्षत्र पूर्व फाल्गुनी 15:40:47
योग ब्रह्म 25:47:00*
करण तैतुल 12:18:29
करण गर 25:01:51
चन्द्र राशि -सिंह till 22:10:45
चन्द्र राशि - कन्या from 22:10
सूर्य राशि - तुला
🚩🌺 आज विशेष 🌺🚩
👉🏻 धन तेरस /प्रदोष व्रतम्
🍁 अग्रिम पर्वोत्सव 🍁
👉🏻 नरक/ रूप चतुर्दशी
19/10/25 (रविवार)
👉🏻 दीपावली
20/10/25 (सोमवार)
👉🏻 देवपितृ अमावस
21/10/25 (मंगलवार)
👉🏻 अन्नकूट/ गोवर्धन पूजन
22/10/25 (बुधवार)
🕉️🚩 यतो धर्मस्ततो जयः🚩🕉️
|| मंगलमय धनतेरस ||
🌞 भगवान धन्वंतरि का प्राकट्य दिवस ही धनत्रयोदशी पर्व के रूप में मनाया जाता है। धनत्रयोदशी भगवान श्री विष्णु के धन्वंतरि रूप में समुद्र में से अमृत कलश लेकर प्रकट होने का पावन दिवस है। आज के दिन नईं वस्तुएं खरीदने का भी प्रचलन है। घर में नया सामान आए ये अच्छी बात है लेकिन हमारे जीवन में कुछ नये विचार, नया उत्साह, नये संकल्प और नया सृजन आए यह भी आवश्यक है।
🌞 वैष्णवों के जीवन का परम धन तो श्री लाडली-लाल जू सरकार के चरण एवं जीवन का रस ही उन युगल चरणों की भक्ति है। जहाँ युगल किशोर के चरण रुपी धन एवं उनकी भक्ति रूपी रस है, वहीं वैष्णव जनों का धनतेरस है। बाहर से हमारा घर-द्वार सजे ये अच्छी बात है पर भीतर से हमारा मन भी नवीन एवं सुंदर विचारों से व प्रभु भक्ति से सुसज्जित हो यही इस पावन पर्व की सार्थकता है।
शनि प्रदोष व्रत का दुर्लभ संयोग
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि शनिवार को पड़ने के कारण आज शनि त्रयोदशी और शनि प्रदोष व्रत का दुर्लभ संयोग बन रहा है। प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा-अर्चना का विधान है। शनि प्रदोष व्रत, विशेष रूप से शनिदेव के अशुभ प्रभावों को कम करने और भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान शिव के साथ-साथ शनिदेव की आराधना करने से भक्तों को स्वास्थ्य, धन और जीवन में स्थिरता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
रमा एकादशी व्रत का पारण
जो श्रद्धालु बीते दिन रमा एकादशी का व्रत रख चुके हैं, उनके लिए आज का दिन व्रत के पारण का है। पंचांग के अनुसार, रमा एकादशी व्रत का पारण 18 अक्टूबर को सुबह 06:24 बजे से 08:41 बजे के बीच करना शुभ रहेगा। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और पारण के शुभ मुहूर्त में व्रत खोलने से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है।
देवगुरु बृहस्पति का महागोचर
आज की ज्योतिषीय गणना में एक और महत्वपूर्ण घटना जुड़ रही है - देवगुरु बृहस्पति का गोचर। ज्ञान, भाग्य, संतान और समृद्धि के कारक ग्रह बृहस्पति आज अपनी राशि बदलकर मिथुन से कर्क राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति को एक अत्यंत शुभ और प्रभावशाली ग्रह माना गया है, और इसका यह गोचर कई राशियों के जातकों के जीवन में बड़े सकारात्मक बदलाव ला सकता है। विशेष रूप से यह गोचर विवाह, संबंध, व्यावसायिक साझेदारी और भाग्य को प्रभावित करेगा।
आज का पंचांग
पंचांग के अनुसार, आज कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि मध्याह्न तक रहेगी, जिसके बाद त्रयोदशी तिथि का आरंभ होगा। इसी त्रयोदशी तिथि में प्रदोष काल पड़ने के कारण धनतेरस का पूजन किया जाएगा। आज पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र और ब्रह्म एवं इंद्र योग जैसे शुभ योग भी बन रहे हैं, जो इस दिन के महत्व को और अधिक बढ़ाते हैं। इसके अलावा, आज शाम को यम दीपम निकालने का भी विधान है, जिसे परिवार के सदस्यों की अकाल मृत्यु के भय को दूर करने के लिए किया जाता है।
कुल मिलाकर, 18 अक्टूबर 2025 का यह दिन धन, स्वास्थ्य, शिव कृपा और भाग्य के आशीर्वाद को एक साथ समेटे हुए है, जो इसे साधना और खरीदारी दोनों के लिए एक अत्यंत पवित्र और शुभ अवसर बनाता है। भक्तों को सलाह दी गई है कि वे शुभ मुहूर्त में विधिवत पूजा कर इन दुर्लभ संयोगों का पूरा लाभ उठाएं।
🙏 धनतेरस का पावन पर्व आप सभी लिए शुभ एवं मंगलमय हो। 🙏
जय जय श्री सीताराम 👏
जय जय श्री ठाकुर जी की👏
(जानकारी अच्छी लगे तो अपने इष्ट मित्रों को जन हितार्थ अवश्य प्रेषित करें।)
ज्यो.पं.पवन भारद्वाज(मिश्रा) व्याकरणज्योतिषाचार्य
राज पंडित-श्री राधा गोपाल मंदिर (जयपुर)