अमेरिका के हमले के बाद ईरान और इजरायल के बीच तनाव और तीव्र हो गया है। इस जटिल और गंभीर स्थिति को देखते हुए भारत सरकार ने अपने नागरिकों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए ‘ऑपरेशन सिंधु’ को तेजी से अंजाम देना शुरू कर दिया है। इस ऑपरेशन का मकसद ईरान और आसपास के क्षेत्रों में फंसे भारतीय नागरिकों को सुरक्षित वापस भारत लाना है।
रविवार को ‘ऑपरेशन सिंधु’ के तहत 285 भारतीय नागरिकों के एक नए जत्थे को ईरान से निकालकर भारत लाया गया। दिल्ली एयरपोर्ट पर केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री पाबित्रा मार्गेरिटा ने इन सभी का स्वागत किया और मीडिया से बातचीत में इस बात की जानकारी दी कि अगले 2 से 3 दिनों में इस ऑपरेशन के तहत ईरान से तीन और निकासी उड़ानों का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि अब तक 1,713 भारतीय नागरिकों को सफलतापूर्वक ईरान से भारत वापस लाया जा चुका है।
पाबित्रा मार्गेरिटा ने यह भी बताया कि भारत सरकार इजरायल में फंसे भारतीय नागरिकों की भी सहायता कर रही है। इजरायल से जॉर्डन पहुंचे 162 भारतीय नागरिकों को ‘एक या दो दिन के भीतर’ भारत वापस भेजने की योजना बनाई गई है। ये नागरिक जॉर्डन के बॉर्डर पार कर चुके हैं और उनकी सुरक्षित वापसी के लिए भारत सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है। इस तरह भारत की कूटनीतिक पहल और एम्बेसी स्टाफ की सक्रियता से लाखों किलोमीटर दूर अपने देशवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही है।
रविवार को लौटे 285 भारतीय नागरिक पहले ईरान के मशहद शहर पहुंचे थे, जहां से उन्हें विमान के जरिए सीधे भारत लाया गया। इन यात्रियों में जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, बिहार, और उत्तर प्रदेश के लोग शामिल थे। यह दिखाता है कि ईरान में फंसे भारतीय नागरिक देश के विभिन्न हिस्सों से हैं, और उनकी सुरक्षित वापसी के लिए केंद्र सरकार समन्वित और व्यापक प्रयास कर रही है।
‘ऑपरेशन सिंधु’ अब तक भारत सरकार का सबसे बड़ा और सफल मानवीय निकासी अभियान बन चुका है। विदेश मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर भी ऑपरेशन के निरंतर जारी रहने की जानकारी साझा की है। इस अभियान के जरिए भारत ने संकट के समय अपने नागरिकों की जान बचाने और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
ईरान और इजरायल के बीच जारी तनाव का असर न केवल क्षेत्रीय स्तर पर बल्कि वैश्विक राजनीति और आर्थिक बाजारों पर भी पड़ रहा है। अमेरिका के हमलों के बाद से निफ्टी और सेंसेक्स सहित भारतीय शेयर बाजारों में गिरावट देखने को मिली है, जो इस विवाद के आर्थिक प्रभावों को दर्शाता है। भारत जैसे बड़े और मजबूत लोकतंत्र ने अपनी जिम्मेदारी समझते हुए अपने नागरिकों की सुरक्षा को सर्वोपरि रखा है और ‘ऑपरेशन सिंधु’ इसका जीता जागता उदाहरण है।
इसके अलावा, भारत सरकार ने अपने दूतावासों और कांसुलेट्स के जरिए भारतीय नागरिकों को सतर्क रहने और यात्रा सलाह का पालन करने का निर्देश भी जारी किया है। खासतौर पर मिडिल ईस्ट में बढ़े हुए तनाव को देखते हुए भारतीयों को यात्रा करते समय अधिक सावधानी बरतने की हिदायत दी गई है।
भारतीय विदेश मंत्रालय की यह सक्रियता यह साबित करती है कि संकट के समय भारत सरकार विदेश में फंसे नागरिकों के लिए कितनी तत्पर रहती है। ‘ऑपरेशन सिंधु’ की सफलता भारतीय कूटनीति, रक्षा और नागरिक प्रशासन के उत्कृष्ट तालमेल का परिणाम है।
भविष्य में भी यह अभियान जारी रहेगा और जरूरत पड़ने पर भारत सरकार तत्काल और प्रभावी कदम उठाने के लिए तैयार है। देशवासियों की सुरक्षा के प्रति यह प्रतिबद्धता और तत्परता भारत की विदेश नीति की मजबूती और मानवता की भावना को दर्शाती है।
अंत में कहा जा सकता है कि ‘ऑपरेशन सिंधु’ के जरिए भारत ने एक बार फिर यह साबित किया है कि अपने नागरिकों की रक्षा और सुरक्षा में वह पीछे नहीं रहता। चाहे परिस्थिति कितनी भी जटिल क्यों न हो, भारत अपनी जिम्मेदारी से कभी पीछे नहीं हटता। इस ऑपरेशन की सफलता से फंसे हुए हजारों भारतीयों के परिवारों को बड़ी राहत मिली है और यह भारत की शक्ति एवं समर्पण का परिचायक है।
आने वाले दिनों में भी भारत सरकार ऐसे ही कदम उठाती रहेगी ताकि हर भारतीय अपने देश के कंधों पर सुरक्षित महसूस कर सके।