नागपुर न्यूज डेस्क: नागपुर की सिविल कोर्ट ने कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले को बड़ा झटका देते हुए उनकी ओर से दायर 500 करोड़ रुपये की मानहानि याचिका को खारिज कर दिया है। यह मुकदमा महाराष्ट्र की पूर्व पुलिस महानिदेशक रश्मि शुक्ला के खिलाफ दायर किया गया था। आरोप था कि उन्होंने विपक्षी नेताओं के फोन टैप किए थे। कोर्ट के इस फैसले से रश्मि शुक्ला को राहत मिली है।
मामला साल 2019 का है, जब शुक्ला राज्य गुप्तचर विभाग की प्रमुख थीं। उस समय गोपनीय दस्तावेज लीक होने और फोन टैपिंग का मुद्दा उठा था। कांग्रेस नेता नाना पटोले ने आरोप लगाया था कि भाजपा के इशारे पर उनका फोन टैप किया गया और उनकी राजनीतिक छवि खराब करने की साजिश रची गई। इसी आधार पर उन्होंने शुक्ला के खिलाफ 500 करोड़ की मानहानि का दावा किया था।
बुधवार को जॉइंट सिविल जज (सीनियर डिवीजन) आनंद एस. मुंडे ने फैसला सुनाते हुए कहा कि पटोले का दावा गुणवत्ताहीन है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि केवल मामला दर्ज होने से मानहानि साबित नहीं होती। चूंकि इस पूरे प्रकरण में पटोले का नाम कहीं नहीं था और उन पर कोई केस दर्ज नहीं हुआ था, इसलिए उनकी मानहानि हुई, यह साबित नहीं हो पाया।
कोर्ट ने यह भी कहा कि कई बार अवसर देने के बावजूद पटोले अपनी बात साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत पेश नहीं कर सके। इसलिए बिना ठोस प्रमाण के लगाए गए आरोप मान्य नहीं हैं। इस मामले में पटोले की ओर से एडवोकेट अमोल पाटने ने पैरवी की, जबकि शुक्ला की ओर से वरिष्ठ वकील और नागपुर खंडपीठ के मुख्य सरकारी वकील देवेंद्र चौहान पेश हुए।