नागपुर न्यूज डेस्क: नागपुर में एक महिला 36 साल बाद अपने परिवार से मिली, जिसने मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण इतने लंबे समय तक अपने घर से संपर्क खो दिया था। शनिवार (13 सितंबर) को क्षेत्रीय मानसिक चिकित्सालय परिसर में मां-बेटी की यह मुलाकात हुई, जिसमें दोनों की आंखों में आंसू और अस्पताल परिसर में भावुक माहौल देखा गया।
मोना (बदला हुआ नाम) का मानसिक स्वास्थ्य इलाज नागपुर के क्षेत्रीय मनोरोग अस्पताल में चल रहा था। डॉक्टर डॉ. पंकज बागड़े और समाज सेवा अधीक्षक कुंदा बिडकर ने उसकी काउंसलिंग के दौरान कुछ असंगत जानकारी से परिवार की तलाश शुरू की। मोना ने अपने पिता के डाकघर में काम करने और बुटीबोरी-भंडारा इलाके से संबंध होने की जानकारी दी, जिस आधार पर बिडकर ने पुलिस, डाक विभाग और स्थानीय लोगों की मदद से तलाश अभियान चलाया।
इस अभियान में MIDC पुलिस स्टेशन की वरिष्ठ अधिकारी उषा कोंडलकर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कई प्रयासों के बाद मोना ने अपने परिवार के सदस्यों की पहचान की और पहली बार अपनी मां की आवाज सुनी। इसके बाद उसके परिवार के सदस्य—बेटी, बहन, भाई, दामाद, पोते-पोतियां—अस्पताल पहुंचे और मोना को गले लगाया। डॉक्टरों और कर्मचारियों ने इस भावुक पुनर्मिलन को सफल बनाया।
डॉ. सतीश हुमाने ने कहा कि यह घटना अस्पताल के लिए गर्व का क्षण है। इस कहानी ने यह साबित किया कि मानसिक बीमारी अंत नहीं है; उचित इलाज, देखभाल और करुणा से मानसिक रूप से बीमार मरीजों का जीवन फिर से संवारा जा सकता है। इस घटना ने महिला और उसके परिवार के लिए खुशियों की वापसी का मार्ग प्रशस्त किया।