नागपुर न्यूज डेस्क: नागपुर के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में पिछले कई सालों से ब्लड कंपोनेंट यूनिट की कमी मरीजों और डॉक्टरों के लिए परेशानी बनी हुई थी। किडनी, लिवर, हार्ट और ब्रेन जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को प्लेटलेट्स और प्लाज्मा जैसे रक्त घटकों की जरूरत होती है, लेकिन यूनिट न होने के कारण इन्हें मेडिकल अस्पताल भेजना पड़ता था। कई बार वहां भी समय पर ब्लड कंपोनेंट नहीं मिलने पर मरीजों को बाहर से खरीदना पड़ता था, जो गरीब मरीजों के लिए मुश्किल साबित होता था।
2016 में इस यूनिट का प्रस्ताव तैयार हुआ था, जिसे 2019 में 60 लाख रुपये की प्रशासकीय मंजूरी मिली। लेकिन इसके बाद नक्शा पास करवाने और मशीनों की खरीदी को लेकर अड़चनें आ गईं। अन्न और औषधि प्रशासन ने पहले नक्शे को नियम विरुद्ध बताकर बदलाव की मांग की। नया नक्शा तैयार होने और मंजूरी मिलने में कई साल लग गए। वहीं, हॉफकिन कंपनी को मशीनें खरीदने की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन देरी और बढ़ी कीमतों ने प्रक्रिया को और लंबा खींच दिया।
अब जाकर एफरेसिस और सेप्रेशन जैसी जरूरी मशीनें अस्पताल पहुंच चुकी हैं। अधिकारियों का कहना है कि अगले दो महीने में इन मशीनों को स्थापित कर ब्लड कंपोनेंट यूनिट शुरू कर दी जाएगी। इससे सुपर स्पेशलिटी अस्पताल आने वाले हजारों मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी।
यह अस्पताल विदर्भ ही नहीं बल्कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना जैसे पड़ोसी राज्यों से आने वाले मरीजों के लिए भी जीवनरेखा माना जाता है। ऐसे में यूनिट की शुरुआत से गंभीर बीमारियों के इलाज में आसानी होगी और मरीजों को बाहर भटकना नहीं पड़ेगा।