नागपुर न्यूज डेस्क: अमेरिका से निर्वासित नागपुर निवासी हरप्रीत सिंह लालिया ने अपनी दर्दभरी आपबीती साझा की है। उन्होंने बताया कि उन्हें अपमानजनक तरीके से हाथों में हथकड़ी और पैरों में जंजीरें बांधकर वापस भेजा गया। लालिया का सपना कनाडा में बसने का था, लेकिन एजेंट की गलती ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। उन्होंने बताया कि इस सफर के लिए उन्होंने बैंकों और रिश्तेदारों से 50 लाख रुपये जुटाए थे, लेकिन अंत में उन्हें अवैध अप्रवासी घोषित कर अमेरिका से निकाल दिया गया। इस दौरान उन्होंने कई मुश्किल यात्राएं कीं और हर मोड़ पर अनिश्चितता का सामना किया।
बुधवार को अमेरिका की सेना का सी-17 ग्लोबमास्टर विमान अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरा, जिसमें 104 अवैध अप्रवासी भारत लौटाए गए। इनमें 33-33 लोग हरियाणा और गुजरात से, 30 पंजाब से, तीन-तीन महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से और दो चंडीगढ़ से थे। लालिया ने बताया कि उन्होंने 5 दिसंबर 2024 को दिल्ली से कनाडा के लिए उड़ान भरी थी, लेकिन अबू धाबी में उन्हें आगे की फ्लाइट में चढ़ने नहीं दिया गया। मजबूरी में उन्हें वापस दिल्ली लौटना पड़ा, जहां आठ दिन रहने के बाद उन्हें मिस्र, फिर स्पेन होते हुए कनाडा पहुंचाने की योजना बनाई गई। लेकिन स्पेन में चार दिन रुकने के बाद उन्हें ग्वाटेमाला, निकारागुआ, होंडुरास, मैक्सिको होते हुए अमेरिका भेज दिया गया।
लालिया ने बताया कि इस पूरे सफर में उन्होंने लगभग 49.5 लाख रुपये खर्च किए, जो बैंकों से कर्ज और रिश्तेदारों से उधार लिए गए थे। उन्होंने कनाडा में जाकर काम करने का सपना देखा था, लेकिन उनके एजेंट की गलती के चलते उन्हें यह यातना झेलनी पड़ी। सबसे भयावह समय तब आया जब मैक्सिको में माफियाओं ने उन्हें पकड़ लिया और 10 दिनों तक बंधक बनाए रखा। इसके बाद उन्हें पहाड़ियों पर चढ़ाई करनी पड़ी और फिर अमेरिकी सीमा तक पहुंचने के लिए 16 घंटे पैदल चलना पड़ा।
अमेरिका पहुंचने के बाद उन्हें और 103 अन्य भारतीयों को एक स्वागत केंद्र में ले जाया गया, जहां से उन्हें निर्वासित करने की प्रक्रिया शुरू हुई। लालिया ने दावा किया कि उन्हें हथकड़ियों और पैरों में जंजीरें डालकर विमान में बैठाया गया और भारत वापस भेज दिया गया। इस पूरे घटनाक्रम से वह मानसिक और आर्थिक रूप से टूट चुके हैं। उनके अनुसार, अब उनके पास न तो नौकरी है और न ही वह पैसे वापस चुका सकते हैं।