नागपुर न्यूज डेस्क: महाराष्ट्र की उपराजधानी नागपुर में 8 दिसंबर से शुरू होने वाला शीत सत्र शुरू होने से ठीक एक दिन पहले ही हलचल बढ़ने वाली है। 7 दिसंबर की दोपहर तक सरकार के मंत्री-संतरी और पूरा विपक्ष नागपुर पहुँच जाएगा। जैसे ही सभी दल पहुंचेंगे, विपक्ष मिलकर ये तय करेगा कि किन-किन मुद्दों पर सरकार को घेरना है और किस प्रकार सदन में सवाल उठाए जाएंगे। वहीं सत्ता दल भी पीछे नहीं हैं और वे भी अपनी रणनीति पहले ही तैयार कर लेंगे।
सत्तारूढ़ बीजेपी और उसके सहयोगी दल इस सत्र में अपने एक वर्ष के काम और योजनाओं का जोरदार तरीके से बखान करने वाले हैं। जबकि विपक्ष का प्लान साफ है — राज्य की बिगड़ी कानून-व्यवस्था, किसानों की मुश्किलें और बाकी बड़े मुद्दों पर सरकार को कटघरे में खड़ा करना। परंपरा के अनुसार इस बार भी सत्र की पूर्व संध्या पर सत्ता पक्ष विपक्ष को चाय पर बुलाएगा, लेकिन उम्मीद है विपक्ष इस न्योते को ठुकरा देगा, जैसा अक्सर देखा गया है।
सबसे बड़ा टकराव OBC आरक्षण, निकाय चुनाव और बेमौसम बारिश से तबाह हुए किसानों के मुद्दों पर दिख सकता है। पहले दिन शोक प्रस्तावों के साथ सदन की शुरुआत होगी, लेकिन दूसरे दिन से माहौल गर्म रहेगा। भारी बारिश और बाढ़ की वजह से शहरों में सड़कें, पुल, दीवारें टूट गईं और गांवों में फसलों को बड़ा नुकसान हुआ, इसलिए विपक्ष ‘सरसकट कर्जमाफी’ पर सरकार को घेरने की तैयारी में है।
उधर उपराजधानी भी सत्र का स्वागत करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। विधान भवन की सुरक्षा कड़ी कर दी गई है और मोर्चों के रास्ते तय कर दिए गए हैं। चूंकि यह सत्र केवल एक सप्ताह का है, प्रशासन भी राहत महसूस कर रहा है। रविभवन और नागभवन के कॉटेजेस से लेकर विधायक निवास तक — खाना, स्वास्थ्य सुविधा, रेलवे काउंटर, बसें और वाहन सबकी व्यवस्था हो चुकी है। अगले सात दिनों तक नागपुर राजधानी की तरह चमकता दिखाई देगा।