जम्मू कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया। इस हमले में 27 मासूमों की मौत हुई और 17 लोग गंभीर रूप से घायल हुए। यह हमले का कनेक्शन अब फिलिस्तीन के आतंकवादी संगठन हमास से जुड़ने की संभावना जताई जा रही है। खुफिया सूत्रों के हवाले से यह जानकारी सामने आई है कि हमास के टॉप 3 कमांडरों ने पाकिस्तान में 6 महीने पहले अपने आतंकवादी अभियान शुरू किए थे और अब उन कमांडरों का कनेक्शन पहलगाम हमले से जुड़ सकता है। इस संदर्भ में जांच की जा रही है कि क्या हमास की साजिश इस हमले में शामिल रही है, क्योंकि हमले के तरीके को हमास से जोड़कर देखा जा रहा है।
क्यों हमास पर शक है?
पाहलगाम आतंकी हमले में जिस तरह से आतंकवादियों ने एक-एक व्यक्ति से नाम पूछकर गोली मारी, वह तरीका आम तौर पर हमास के आतंकी हमलों में देखा गया है। हमास, जो फिलिस्तीन में सक्रिय है, खासकर गाजा पट्टी में, ने इसी तरह के हमलों को अंजाम दिया है, जहां आतंकवादी लक्ष्य को पहचानकर सीधे निशाना बनाते हैं। भारत की सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, हमास का ये तरीका पहलगाम हमले से मेल खाता है, जिसके बाद यह शक जताया जा रहा है कि हमास इस हमले की साजिश में भी शामिल हो सकता है।
लश्कर-ए-तैयबा और द रजिस्टेंस फ्रंट (TRF) का नाम
पहलगाम में हुए इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा और उसके सहयोगी संगठन द रजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली है। हालांकि, हमास के कथित तौर पर इन दोनों आतंकी संगठनों के संपर्क में रहने की जानकारी सामने आई है। भारतीय सुरक्षा एजेंसियां इस सूचना की जांच कर रही हैं कि क्या हमास इस हमले की साजिश में प्रत्यक्ष रूप से शामिल था, या क्या यह आतंकवादियों की ट्रेनिंग और रणनीति का हिस्सा था।
हमास के टॉप कमांडर्स का पाकिस्तान में कैंपिंग
खुफिया जानकारी के अनुसार, हमास के तीन प्रमुख कमांडर, डॉ खालिद कद्दूमी, डॉ नाजी जहीर और मुफ्ती आजम पिछले छह महीने से पाकिस्तान में सक्रिय हैं और लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के आतंकियों को ट्रेनिंग दे रहे हैं। यह तीनों कमांडर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) में रहे हैं और इनका लश्कर और जैश के आतंकियों के साथ घनिष्ठ संबंध रहा है।
खुफिया सूत्रों के अनुसार, इन तीनों कमांडरों को रावलकोट में हुई एक भारत विरोधी रैली में देखा गया था, जो कश्मीर सॉलिडेरिटी एंड हमास ऑपरेशन अल-अक्सा फ्लड नाम से आयोजित की गई थी। इस रैली में जैश के प्रमुख कमांडर मसूद अजहर का भाई तल्हा सैफ, जैश कमांडर असगर खान, और मसूद इलियास भी शामिल थे।
हमास कमांडर कद्दूमी का पाकिस्तान में प्रभाव
हमास के प्रमुख कमांडर डॉ खालिद कद्दूमी की पाकिस्तान में बड़ी साख है और वह पाकिस्तान की संसद में भी भारत के खिलाफ अपनी बयानबाजी के लिए कुख्यात हैं। कद्दूमी ने POK में लश्कर के डिप्टी चीफ सैफुल्लाह कसूरी से भी मुलाकात की थी, जो भारत के खिलाफ आतंकवाद फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कद्दूमी के नेतृत्व में हमास का इजराइल के खिलाफ संघर्ष जारी है और पाकिस्तान में उसके संपर्क और आतंकी प्रशिक्षण केंद्रों की जानकारी प्राप्त हुई है।
भारत की सुरक्षा एजेंसियां कर रही हैं जांच
भारत की सुरक्षा एजेंसियां इस नए इनपुट की गंभीरता से जांच कर रही हैं। अगर इनपुट सही साबित होता है तो भारत के लिए यह एक बड़ा कदम हो सकता है, क्योंकि हमास को पहले आतंकी संगठन के तौर पर सूचीबद्ध नहीं किया गया था। भारतीय सुरक्षा एजेंसियां अब इस कनेक्शन को और पुख्ता करने का प्रयास कर रही हैं और यह साबित करने के लिए कठोर साक्ष्य जुटाने की कोशिश कर रही हैं कि हमास भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों में शामिल है।
भारत को कदम उठाने की आवश्यकता
भारत सरकार को अब हमास के खिलाफ भी कड़ा कदम उठाने की आवश्यकता हो सकती है, जैसा कि पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों के खिलाफ लिया गया है। यदि हमास के कनेक्शन को साबित किया जाता है, तो भारत को इस संगठन को भी आतंकी संगठन घोषित करने पर विचार करना चाहिए और साथ ही साथ इसके खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
निष्कर्ष
पाहलगाम आतंकी हमले ने एक बार फिर से यह सिद्ध कर दिया कि पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है, और हमास जैसे अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन भी अब भारत की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं। भारत की सुरक्षा एजेंसियों को अब इन नए इनपुट्स पर काम करते हुए हमास के पाकिस्तान में चल रहे आतंकवादी गतिविधियों के कनेक्शन को उजागर करना होगा। यह साबित होने पर भारत को अंतरराष्ट्रीय समुदाय से और कठोर कदम उठाने का समर्थन मिल सकता है, और पाकिस्तान को इस प्रकार की आतंकवादी गतिविधियों के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।