ईरान में पाँच साल के अंतराल के बाद पेट्रोल की कीमतों में एक बार फिर वृद्धि की गई है, जिससे देश में हिंसक विरोध प्रदर्शनों की आशंका फिर से गहरी हो गई है। ईरानियों के लिए सस्ता पेट्रोल पीढ़ियों से एक अधिकार माना जाता रहा है, और इसमें कोई भी बदलाव बड़े पैमाने पर असंतोष पैदा करता है।
नई मूल्य प्रणाली
नई मूल्य प्रणाली के तहत, पेट्रोल की बिक्री अब तीन स्तरीय दरों पर होगी:
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रियायती दर: शुरुआती 60 लीटर पेट्रोल हर महीने 15,000 रियाल (लगभग $0.0125, या 1.25 सेंट) प्रति लीटर पर मिलेगा।
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माध्यमिक दर: अगले 100 लीटर 30,000 रियाल (लगभग $0.025, या 2.5 सेंट) प्रति लीटर पर मिलेंगे।
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खुली बाज़ार दर: इसके बाद खरीदा गया कोई भी अतिरिक्त पेट्रोल 50,000 रियाल (लगभग $0.04, या 4 सेंट) प्रति लीटर की नई और ऊँची दर पर मिलेगा।
ईरान के तेल मंत्री मोहसेन पाकनेजाद ने कहा है कि यह कदम ईंधन की खपत की प्रवृत्ति को बदलने की शुरुआत है। सरकार हर तीन महीने में कीमतों की समीक्षा करती है, और भविष्य में और अधिक वृद्धि की संभावना है।
ऊर्जा सब्सिडी और आर्थिक दबाव
ईरान दुनिया में सबसे ज़्यादा ऊर्जा सब्सिडी देने वाले देशों में से एक है। 2022 में इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (IEA) ने ईरान को दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा एनर्जी सब्सिडी देने वाला देश बताया, जिसकी तेल सब्सिडी उस वर्ष 52 बिलियन डॉलर आंकी गई थी।
ईरान में लगभग ढाई करोड़ वाहन हैं, जिनमें 80 लाख लोग ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के ज़रिए टैक्सी या कैब चलाते हैं। इन लोगों के लिए सस्ती गैसोलीन सीधे तौर पर रोज़गार के अवसर पैदा करती है। हालाँकि, आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि यह भारी सब्सिडी बजट घाटे को कम नहीं कर पाई है और इसने महँगाई को और बढ़ाया है।
कीमतों में वृद्धि पर हिंसक विरोधों का इतिहास
ईरान में ईंधन की कीमतों में वृद्धि अक्सर राजनीतिक और सामाजिक अशांति का कारण बनती रही है:
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1964: शुरुआती प्रदर्शन: 1964 में भी गैसोलीन की कीमत बढ़ने पर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे। तत्कालीन शासक मोहम्मद रजा पहलवी को हड़ताल कर रहे टैक्सी चालकों की जगह सड़कों पर सैन्य वाहन उतारने पड़े थे।
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2007: राशनिंग सिस्टम: 2007 में जब ईरान में पहली बार फ्यूल राशनिंग सिस्टम (व्यक्ति या वाहन को सीमित मात्रा में सब्सिडी वाला ईंधन देने की व्यवस्था) लागू किया गया, तो देश के कई हिस्सों में आगजनी और हिंसा हुई थी।
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2019: सबसे बड़ा विरोध: सरकार ने अचानक पेट्रोल की कीमतों में 50% तक की वृद्धि की थी। इसके परिणामस्वरूप तेहरान, मशहद, अहवाज और सिरजान सहित 100 से अधिक शहरों और कस्बों में हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। इस विरोध में 300 से अधिक लोग मारे गए थे। सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों पर कड़ी कार्रवाई की, और कुछ गैस स्टेशन व बैंक जला दिए गए थे।
नए मूल्य वृद्धि के साथ, सरकार को एक बार फिर जनता के बड़े विरोध का सामना करना पड़ सकता है, भले ही कुछ लोगों का मानना है कि पिछले विरोधों के बावजूद कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है।