फिलीपींस में आए भीषण उष्णकटिबंधीय चक्रवात तूफान 'कालमेगी' (Kalmegi) ने देश के मध्य प्रांतों में भारी तबाही मचाई है, जिसके चलते कम से कम 241 लोगों की मौत हो गई है और 127 अन्य लापता हैं। यह इस साल फिलीपींस में आई सबसे भीषण प्राकृतिक आपदा है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनेंड मार्कोस जूनियर ने गुरुवार (6 नवंबर 2025) को तत्काल प्रभाव से देश में आपातकाल (State of Calamity) की घोषणा कर दी है।
सेबू में सबसे अधिक तबाही और मौतें
तूफान 'कालमेगी' ने बुधवार (5 नवंबर 2025) को द्वीपसमूह को पार किया और अब यह दक्षिण चीन सागर की ओर बढ़ गया है। तूफान के कारण हुई ज्यादातर मौतें अचानक आई बाढ़ में डूबने से हुई हैं। लापता हुए 127 लोगों में से अधिकतर मध्य प्रांत सेबू के निवासी हैं, जो तूफान से सबसे बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
प्रभावित आबादी: तूफान के प्रकोप से लगभग 20 लाख लोग प्रभावित हुए।
विस्थापन: 5.6 लाख से अधिक ग्रामीण विस्थापित हुए, जिनमें से लगभग 4.5 लाख लोगों को आपातकालीन आश्रयों में शरण लेनी पड़ी है। मौसम विभाग ने बताया कि कालमेगी ने तटीय इलाकों में 200 किमी/घंटा तक की रफ्तार से दस्तक दी, जिससे समुद्र में ऊंची लहरें उठीं और निचले इलाकों में गंभीर जलभराव हो गया।
आपातकाल की घोषणा का उद्देश्य
राष्ट्रपति मार्कोस ने आपदा प्रतिक्रिया अधिकारियों के साथ उच्च-स्तरीय बैठक के दौरान यह आपातकालीन घोषणा की। इस घोषणा के कई तत्काल प्रभाव होंगे, जिससे राहत कार्यों में तेजी आएगी:
राहत कोष का तेजी से वितरण: सरकार को आपात राहत कोष को तुरंत जारी करने में मदद मिलेगी।
कालाबाजारी पर रोक: खाद्यान्न और आवश्यक वस्तुओं की जमाखोरी और मुनाफाखोरी पर रोक लगाई जा सकेगी।
मूल्य नियंत्रण: प्रभावित क्षेत्रों में आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रित किया जा सकेगा।
बचाव कार्य में मुश्किलें
सबसे बुरी तरह प्रभावित सेबू प्रांत के कई गांवों में बिजली और संचार पूरी तरह से ठप हो गए हैं। स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, सैकड़ों लोग अभी भी अपने घरों की छतों पर फंसे हैं और बचाव टीमों के पहुंचने का इंतजार कर रहे हैं। तूफान के गुजरने के बाद भी कई क्षेत्रों में लगातार तेज हवाएं और भारी बारिश जारी हैं, जिससे खोज और बचाव अभियानों में बड़ी मुश्किलें आ रही हैं। फिलीपींस सरकार और अंतर्राष्ट्रीय राहत एजेंसियां अब विस्थापितों को भोजन, पानी और चिकित्सा सहायता प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं, जबकि सेना लापता लोगों की तलाश और फंसे हुए नागरिकों को निकालने के काम में जुटी हुई है।