इस लिस्ट में भारत का नंबर है 3, क्यों उड़ गई अमेरिका और चीन की नींद?

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Posted On:Thursday, December 25, 2025

पिछले एक दशक में भारत ने अपने पेट्रोल पंप नेटवर्क को लगभग दोगुना कर दिया है। आज भारत, अमेरिका और चीन के बाद तीसरे स्थान पर है। दिलचस्प बात यह है कि अमेरिका और चीन (जिनका भौगोलिक क्षेत्र भारत से बहुत बड़ा है) के पास लगभग 1.10 लाख से 1.20 लाख पंप हैं। भारत अब उनसे महज 10 हजार पंप पीछे रह गया है, जिसे आने वाले कुछ वर्षों में हासिल किए जाने की उम्मीद है।

1. कंपनियों का दबदबा: किसका कितना नेटवर्क?

भारत में ईंधन रिटेलिंग पर अभी भी सरकारी कंपनियों (PSU) का भारी नियंत्रण है। वर्तमान आंकड़ों के अनुसार प्रमुख खिलाड़ियों की स्थिति इस प्रकार है:

कंपनी का नाम फ्यूल स्टेशंस की संख्या
IOCL (इंडियन ऑयल) 41,664
BPCL (भारत पेट्रोलियम) 24,605
HPCL (हिंदुस्तान पेट्रोलियम) 24,418
नायरा (Nayara) 6,921
रिलायंस-बीपी 2,114
अन्य (शेल, एमआरपीएल आदि) 544
कुल योग 1,00,266

2. ग्रामीण भारत और बदलता स्वरूप

नेटवर्क विस्तार की सबसे बड़ी सफलता ग्रामीण इलाकों में देखी गई है। एक दशक पहले कुल पंपों में ग्रामीण क्षेत्रों की हिस्सेदारी 22% थी, जो अब बढ़कर 29% हो गई है। इसके अलावा, अब पेट्रोल पंप केवल डीजल-पेट्रोल तक सीमित नहीं रहे। लगभग एक-तिहाई पंपों पर अब सीएनजी (CNG) और इलेक्ट्रिक वाहन (EV) चार्जिंग की सुविधाएं भी उपलब्ध हैं, जो भारत के 'ग्रीन एनर्जी' ट्रांजिशन को मजबूती दे रहे हैं।

3. निजी क्षेत्र और सरकारी नियंत्रण

हैरानी की बात यह है कि तमाम नीतिगत सुधारों के बावजूद, भारत के ईंधन बाजार में निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी 10% से भी कम है। इसका मुख्य कारण सरकार का तेल की कीमतों पर निरंतर नियंत्रण है, जिससे निजी कंपनियों के लिए मुनाफा कमाना और निवेश करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। रिलायंस और शेल जैसी कंपनियां वैश्विक दिग्गज होने के बावजूद भारत में सरकारी कंपनियों के नेटवर्क के सामने छोटी नजर आती हैं।

4. क्या यह विस्तार 'टिकाऊ' है?

नेटवर्क की इस दौड़ पर उद्योग जगत के कुछ विशेषज्ञों ने सवाल भी उठाए हैं। रिलायंस बीपी मोबिलिटी के पूर्व सीईओ हरीश मेहता के अनुसार, भारत में पेट्रोल पंपों की संख्या जरूरत से ज्यादा (Over-saturated) हो सकती है।

  • इंडोनेशिया का उदाहरण: जहां केवल 9,000 पंपों से काम चल रहा है।

  • मार्केट शेयर की जंग: कंपनियां इस डर से नए पंप लगा रही हैं कि कहीं प्रतिस्पर्धी उनकी जगह न घेर लें, भले ही उस इलाके में बिक्री कम हो।

5. खपत में जबरदस्त इजाफा

पिछले 10 वर्षों में भारत में पेट्रोल की खपत 110% और डीजल की मांग 32% बढ़ी है। हालांकि, जानकारों का मानना है कि मांग में यह वृद्धि रिटेल नेटवर्क के विस्तार की गति के मुकाबले कम है। कई छोटे शहरों और गांवों में आउटलेट केवल 'प्रतिष्ठा' (Prestige) के लिए चलाए जा रहे हैं, जबकि उनकी आर्थिक व्यवहार्यता (Economic Viability) कम है।

निष्कर्ष

भारत का 1 लाख पेट्रोल पंपों का मील का पत्थर उसकी बढ़ती ऊर्जा जरूरतों का प्रमाण है। भविष्य में जैसे-जैसे ईवी और वैकल्पिक ईंधन का चलन बढ़ेगा, ये पेट्रोल पंप 'एनर्जी हब' के रूप में विकसित होंगे। चुनौती अब संख्या बढ़ाने


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