कोई देखने वाला नहीं बचेगा… असम CM हिमंत सरमा क्यों चाहते हैं हिंदू पैदा करें 3 बच्चे, बताई वजह, सामने रखे आंकड़े

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Posted On:Wednesday, December 31, 2025

असम की राजनीति में एक बार फिर जनसांख्यिकीय (Demographic) बदलाव और आबादी का मुद्दा गरमा गया है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने हिंदुओं को अधिक बच्चे पैदा करने की सलाह देकर एक नई बहस को जन्म दे दिया है। उनका यह बयान राज्य में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों (मार्च-अप्रैल 2026) से ठीक पहले आया है, जिससे राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है।

मुख्यमंत्री की सलाह: "हिंदू कम से कम तीन बच्चे पैदा करें"

बरपेटा जिले में एक कार्यक्रम के दौरान मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री सरमा ने हिंदुओं की घटती जन्म दर पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक समुदायों के इलाकों में जन्म दर काफी ऊंची है, जबकि हिंदुओं में यह लगातार कम हो रही है।

सरमा के संबोधन के मुख्य बिंदु:

  • आबादी का संतुलन: मुख्यमंत्री ने कहा, "हम हर हिंदू से कहते हैं कि वे एक बच्चे पर न रुकें। कम से कम दो और संभव हो तो तीन बच्चे पैदा करें।"

  • भविष्य की चिंता: उन्होंने दावा किया कि यदि हिंदुओं ने अपनी आबादी की ग्रोथ नहीं बढ़ाई, तो भविष्य में "घर की देखभाल करने वाला कोई नहीं बचेगा।"

  • मुस्लिम समुदाय को नसीहत: सरमा ने मुस्लिम समुदाय को भी सलाह दी कि वे 7-8 बच्चे पैदा करने के बजाय कम बच्चे पैदा करें ताकि संसाधनों का सही उपयोग हो सके।

जनगणना के आंकड़े और बदलता स्वरूप

मुख्यमंत्री का यह बयान राज्य के जनसांख्यिकीय आंकड़ों पर आधारित है। 2011 की जनगणना के आंकड़ों पर नजर डालें तो असम की आबादी का गणित इस प्रकार था:

विवरण संख्या (2011) प्रतिशत (%)
कुल आबादी 3.12 करोड़ 100%
हिंदू आबादी 1.92 करोड़ 61.47%
मुस्लिम आबादी 1.07 करोड़ 34.22%

मुस्लिम बहुल जिलों में बढ़ोतरी

रिपोर्ट के अनुसार, 2001 में असम के 23 जिलों में से 6 जिले मुस्लिम बहुल थे (धुबरी, गोलपाड़ा, बारपेटा, नागांव, करीमगंज और हैलाकांडी)। 2011 की जनगणना तक जिलों की संख्या बढ़कर 27 हो गई और इनमें से 9 जिले मुस्लिम बहुल हो गए, जिनमें बोंगाईगांव और दरांग जैसे नए नाम शामिल थे। मुख्यमंत्री का तर्क है कि यह असंतुलन राज्य की सामाजिक और राजनीतिक संरचना को प्रभावित कर सकता है।

राजनीतिक और सामाजिक निहितार्थ

हिमंत बिस्वा सरमा का यह बयान केवल एक व्यक्तिगत सलाह नहीं बल्कि एक सोची-समझी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है:

  1. चुनाव पूर्व ध्रुवीकरण: 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले यह मुद्दा मतदाताओं को गोलबंद करने में अहम भूमिका निभा सकता है।

  2. परिसीमन का प्रभाव: राज्य में हाल ही में हुए विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन (Delimitation) के बाद कई सीटों के समीकरण बदल गए हैं। मुख्यमंत्री का मानना है कि जनसंख्या का यह पैटर्न भविष्य के चुनावों को प्रभावित करेगा।

  3. संसाधनों पर दबाव: सरमा अक्सर 'पॉपुलेशन कंट्रोल' की बात करते रहे हैं, लेकिन पहली बार उन्होंने हिंदुओं को आबादी बढ़ाने की प्रत्यक्ष सलाह दी है।


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