मुंबई, 03 जून, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने मंगलवार को पुणे यूनिवर्सिटी में 'भविष्य के युद्ध और युद्ध' विषय पर व्याख्यान देते हुए भारत-पाकिस्तान तनाव और ऑपरेशन सिंदूर को लेकर अहम खुलासे किए। उन्होंने कहा कि 10 मई की रात 1 बजे पाकिस्तान ने भारत को 48 घंटे के भीतर घुटनों पर लाने की योजना बनाई थी। इस साजिश के तहत पाकिस्तान ने कई स्थानों पर एक साथ हमले किए और संघर्ष को भड़काने की कोशिश की, लेकिन भारतीय सेना ने महज 8 घंटे में ही उसकी योजना को नाकाम कर दिया। इसके बाद पाकिस्तान को बड़े नुकसान के डर से खुद ही सीजफायर की पहल करनी पड़ी। जनरल चौहान ने बताया कि भारत ने इस दौरान केवल आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया और बेहद सोच-समझकर सटीक कार्रवाई की। उन्होंने यह भी कहा कि भारत आतंकवाद और परमाणु हमले की धमकियों के साए में नहीं जी सकता। एक प्रोफेशनल सेना पर अस्थायी नुकसान या असफलताओं का कोई असर नहीं पड़ता। उन्होंने कहा कि मनोबल बनाए रखना ज़रूरी है क्योंकि नुकसान नहीं, बल्कि परिणाम महत्वपूर्ण होते हैं।
CDS ने हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले का भी ज़िक्र किया और इसे पीड़ितों के लिए अत्यंत क्रूर करार दिया। उन्होंने कहा कि इस हमले से कुछ हफ्ते पहले ही पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने भारत और हिंदुओं के खिलाफ ज़हर उगला था, जो इस हमले से जुड़ा हुआ प्रतीत होता है। ऑपरेशन सिंदूर की योजना के पीछे यही सोच थी कि पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद को करारा जवाब दिया जाए। उन्होंने बताया कि जब पाकिस्तान को समझ आ गया कि उसकी योजना असफल हो चुकी है और आगे नुकसान और बढ़ेगा, तो उसने भारत से हॉटलाइन पर संपर्क किया और तनाव कम करने के लिए बातचीत की पेशकश की। भारत ने भी शांति और स्थिरता की दिशा में कदम बढ़ाते हुए इस अनुरोध को स्वीकार किया।
जनरल चौहान ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेना की रणनीति की सराहना की और कहा कि सेना ने बेहद सटीकता से हमले किए, जिनमें से कुछ दुश्मन के ठिकानों के मात्र दो मीटर भीतर तक किए गए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पाकिस्तान भारत को आतंकवाद के ज़रिए बंधक नहीं बना सकता। जब उनसे इस ऑपरेशन के दौरान भारत को हुए नुकसान, खासतौर पर फाइटर जेट खोने के सवाल पर पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि इन बातों पर चर्चा करना उचित नहीं है। असल मायने परिणाम और कार्यप्रणाली के होते हैं, न कि आंकड़ों के। उन्होंने क्रिकेट का उदाहरण देते हुए कहा कि अगर कोई टेस्ट मैच एक पारी से हार जाता है तो यह मायने नहीं रखता कि कितने विकेट गिरे या कितनी गेंदें फेंकी गईं, असल सवाल यह होता है कि आप हारे क्यों।