मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार (26 दिसंबर) को श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के सुपुत्रों की स्मृति में मनाए जा रहे ‘वीर बाल दिवस’ और श्री गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी वर्ष के अवसर पर आयोजित कीर्तन समागम कार्यक्रम में शिरकत की। इस दौरान उन्होंने सिख गुरुओं के अद्वितीय बलिदान को नमन करते हुए कहा कि स्वदेश और स्वधर्म के लिए सर्वस्व न्योछावर करने की जो परंपरा सिख गुरुओं ने स्थापित की, वही भारत की प्रगति और आत्मसम्मान का मार्ग है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि ऐसा कोई सच्चा भारतीय नहीं हो सकता, जो गुरु तेग बहादुर जी महाराज, गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज और उनके परिवार के बलिदान के प्रति कृतज्ञता व्यक्त न करे। उन्होंने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह जी के चारों साहिबजादों—बाबा अजीत सिंह, बाबा जुझार सिंह, बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह—साथ ही भाई सतीदास, भाई मतिदास और भाई दयाला के त्याग को भारत कभी भुला नहीं सकता। सीएम योगी ने कहा कि यदि कोई सच्चा भारतीय है, तो वह इन महान आत्माओं के प्रति अवश्य नमन करेगा।
मुख्यमंत्री ने अपने भाषण में मुगल शासक औरंगजेब का उल्लेख करते हुए तीखे शब्दों में कहा कि जिसने गुरु तेग बहादुर जी और गुरु गोबिंद सिंह जी को साधारण मनुष्य समझने की भूल की, वह इतिहास की सबसे बड़ी गलतियों में से एक थी। उन्होंने कहा कि औरंगजेब की यह भूल ही उसकी मानसिकता को उजागर करती है, क्योंकि वह उन महापुरुषों के आध्यात्मिक और नैतिक बल को समझ नहीं सका।
सीएम योगी ने कहा कि आज 140 करोड़ की आबादी वाला भारत और दुनिया के किसी भी कोने में रहने वाला हर सनातन धर्मावलंबी और सिख, गुरु नानक देव जी, गुरु तेग बहादुर जी और गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज के प्रति कृतज्ञता व्यक्त कर रहा है। इसके विपरीत, औरंगजेब की अपनी कौम में भी आज कोई उसका नाम लेने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि इतिहास ने यह सिद्ध कर दिया है कि अत्याचार और अहंकार क्षणिक होते हैं, जबकि त्याग और बलिदान युगों तक स्मरण किए जाते हैं।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा, “याद करिए, औरंगजेब अपने आपको हिंदुस्तान का बादशाह कहता था, लेकिन आज कोई नहीं जानता कि उसकी कब्र कहां है। वहां कोई दिया जलाने वाला नहीं है, कोई पुताई करने वाला नहीं है, कोई पूछने वाला नहीं है।” उन्होंने सवाल उठाया कि किस स्थिति में औरंगजेब मरा और किस हालात में उसका अंत हुआ, इसकी किसी को चिंता नहीं है, क्योंकि उसने अत्याचार और दमन का रास्ता चुना था।
अपने संबोधन में सीएम योगी ने गुरु अर्जुन देव जी और गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान की परंपरा का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि जहांगीर द्वारा गुरु अर्जुन देव जी के साथ की गई बर्बरता से बलिदान की यह परंपरा और मजबूत हुई। गुरु तेग बहादुर जी के साथ हुए अत्याचारों को याद करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन लोगों ने उनका लालन-पालन किया, वही आगे चलकर उनके साथ गद्दारी पर उतर आए, लेकिन गुरु तेग बहादुर जी की ‘तेग’ यानी साहस और सत्य के सामने वे टिक नहीं पाए।
सीएम योगी ने स्पष्ट किया कि सिख गुरुओं और उनके परिवार का यह त्याग किसी व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए नहीं था। उन्होंने कहा कि यह बलिदान न तो अपने लिए था, न अपने परिवार के लिए, बल्कि देश और धर्म की रक्षा के लिए था। यही कारण है कि आज पूरा देश उनके योगदान के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए एकत्र होता है।
अपने संबोधन के अंत में मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि ‘वीर बाल दिवस’ और शहीदी वर्ष जैसे आयोजन नई पीढ़ी को यह याद दिलाते हैं कि भारत की आत्मा त्याग, साहस और धर्म की रक्षा में निहित है। उन्होंने कहा कि सिख गुरुओं का बलिदान केवल इतिहास नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए राष्ट्रभक्ति और मानवता की अमर प्रेरणा है।