नागपुर न्यूज डेस्क: महाराष्ट्र में 13 वर्षीय नाबालिग से जुड़े एक गंभीर मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। आरोप है कि एक व्यक्ति ने घर में अकेली मिली बच्ची को यौन संबंध बनाने के बदले 50 रुपये देने का लालच दिया। विरोध करने पर युवक मौके से भाग गया, लेकिन कुछ देर बाद वापस लौटकर नाबालिग का हाथ पकड़कर दोबारा वही हरकत दोहराने की कोशिश की।
पीड़िता ने घटना की जानकारी अपने मामा को दी, जिनकी शिकायत पर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ FIR दर्ज की। मामले की सुनवाई के बाद ट्रायल कोर्ट ने 2019 में आरोपी को POCSO एक्ट के तहत दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई। इसके बाद आरोपी ने इस फैसले को चुनौती देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में अपील दायर की।
सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि केवल हाथ पकड़ना यौन शोषण की श्रेणी में नहीं आता। हालांकि जस्टिस निवेदिता मेहता ने यह दलील खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि नाबालिग को पैसे का लालच देकर यौन संबंध के लिए मजबूर करना और उसका हाथ पकड़कर प्रस्ताव स्वीकार कराने का प्रयास POCSO एक्ट में यौन शोषण की परिभाषा के भीतर आता है।
हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई सजा को सही ठहराते हुए आरोपी की अपील को पूरी तरह से खारिज कर दिया। अदालत ने स्पष्ट किया कि बच्चों के साथ किसी भी प्रकार का यौन इरादे वाला व्यवहार, चाहे वह चोट पहुंचाए या नहीं, कानून के तहत गंभीर अपराध माना जाता है।