नागपुर न्यूज डेस्क: महाराष्ट्र में धार्मिक और ग्रामीण विकास को नई रफ्तार देने की तैयारी शुरू हो गई है। मंगलवार को हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में 'महाराष्ट्र शक्तिपीठ हाईवे' यानी हाई स्पीड एक्सप्रेसवे परियोजना को लेकर अहम फैसला लिया गया। इस परियोजना के लिए सरकार ने 20,787 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दी है। यह हाईवे पूर्व के वर्धा जिले के पवनार से लेकर पश्चिम में सिंधुदुर्ग के पात्रा देवी तक फैलेगा, जो महाराष्ट्र-गोवा सीमा को जोड़ेगा।
इस एक्सप्रेसवे की कुल लंबाई 802.592 किलोमीटर होगी, जो राज्य के 12 जिलों — वर्धा, यवतमाल, हिंगोली, नांदेड़, परभणी, बीड, लातूर, धाराशिव, सोलापुर, सांगली, कोल्हापुर और सिंधुदुर्ग — को एक-दूसरे से जोड़ेगा। बाद में इसे कोंकण एक्सप्रेसवे से जोड़कर गोवा तक विस्तार दिया जाएगा। यह परियोजना सिर्फ एक सड़क नहीं, बल्कि राज्य के धार्मिक स्थलों को आपस में जोड़ने वाला एक प्रमुख कॉरिडोर होगी।
एक्सप्रेसवे पर यात्रा करने से धार्मिक पर्यटन को जबरदस्त बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि यह मार्ग प्रमुख शक्तिपीठों जैसे माहुर, तुलजापुर, कोल्हापुर, और अम्बेजोगाई के साथ-साथ संतों और देवी-देवताओं के पूजास्थलों — पंढरपुर, औंध, परली वैजनाथ, अक्कलकोट, गंगापुर, नरसोबाची वाड़ी, औदुम्बर आदि — को जोड़ेगा। इस सड़क के जरिए नागपुर से गोवा की दूरी भी घटेगी और यात्रा का समय 18 घंटे से घटकर 8 घंटे रह जाएगा।
इस परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। HUDCO द्वारा 12,000 करोड़ रुपये का कर्ज स्वीकृत किया गया है जिससे लगभग 7,500 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित की जाएगी। महाराष्ट्र सरकार का मानना है कि यह परियोजना सिर्फ हाईवे नहीं, बल्कि धार्मिक आस्था, पर्यटन, ट्रांसपोर्ट और ग्रामीण विकास को एक साथ जोड़ेगी और राज्य के विकास को नई दिशा देगी।