नागपुर न्यूज डेस्क: महाराष्ट्र में प्रस्तावित नागपुर-गोवा शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे को लेकर राजनीतिक घमासान तेज हो गया है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) के प्रमुख शरद पवार ने इस परियोजना की पारदर्शिता और इसके सामाजिक-आर्थिक असर को लेकर सवाल उठाए हैं। पवार का कहना है कि सरकार को किसानों की चिंताओं के साथ-साथ इस परियोजना की पूरी जानकारी सार्वजनिक करनी चाहिए, तभी वे इस पर कोई स्पष्ट रुख अपनाएंगे।
कोल्हापुर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए शरद पवार ने कहा कि आमतौर पर किसी भी नई परियोजना का विरोध होता है, लेकिन इस बार मामला अलग है क्योंकि यह सीधे किसानों की जमीन से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि जब तक सरकार यह स्पष्ट नहीं करती कि यह प्रोजेक्ट किस उद्देश्य से लाया गया है, इसके क्या लाभ हैं और किसानों को इससे कैसे बचाया जाएगा, तब तक समर्थन या विरोध तय नहीं किया जा सकता।
शरद पवार ने विशेषज्ञों से भी अपील की है कि वे इस प्रोजेक्ट का निष्पक्ष मूल्यांकन करें। उन्होंने कहा कि वह खुद इस समय परियोजना के फायदे और नुकसान से अनजान हैं, इसलिए किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी। इससे एक दिन पहले उनकी बेटी सुप्रिया सुले ने भी इस 86,300 करोड़ रुपये की लागत वाली परियोजना को राज्य के लिए आर्थिक बोझ बताया था और पुनर्विचार की मांग की थी।
सरकारी अधिकारियों के अनुसार, यह 802 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेसवे वर्धा के पवनार से सिंधुदुर्ग के पत्रादेवी तक जाएगा, जिससे नागपुर से गोवा की दूरी 18 घंटे से घटकर 8 घंटे रह जाएगी। इस मौके पर पवार से महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद पर भी सवाल किया गया, जिस पर उन्होंने समिति के पुनर्गठन की बात कही। अंतरराष्ट्रीय मामलों पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर भी कटाक्ष किया कि शक्तिशाली होने का मतलब यह नहीं कि अपने फैसले दूसरों पर थोपे जाएं।