नागपुर न्यूज डेस्क: गोंदिया बस दुर्घटना ने उठाए गंभीर सवाल: हाल ही में गोंदिया में हुई बस दुर्घटना का कारण ओवरलोड और तेज रफ्तार को बताया जा रहा है। बड़ा सवाल यह उठता है कि यदि बसों में 'स्पीड गवर्नर' लॉक है, तो ये ओवर स्पीड कैसे होती हैं। नागपुर के गणेशपेठ बस स्टैंड पर इस मुद्दे की जांच में सामने आया कि कुछ चालक बसों के स्पीड लॉक के साथ छेड़छाड़ कर रफ्तार बढ़ा देते हैं। वहीं, ओवरलोडिंग पर तो कोई सख्त नियम लागू ही नहीं है। यात्रियों से भरी हुई ये बसें जब तेज गति से चलती हैं, तो हादसे का खतरा बढ़ जाता है।
स्पीड लॉक तोड़ने की 'तकनीक'
एसटी महामंडल की बसें, जिनकी गति आमतौर पर 50-60 किमी प्रति घंटे तक सीमित होती है, अक्सर दुर्घटनाओं का शिकार होती हैं। सूत्र बताते हैं कि कई चालक जल्दी गंतव्य पर पहुंचने के लिए स्पीड लॉक को खोल देते हैं। इसके लिए बस के नीचे एक विशेष नट को ढीला किया जाता है, जिससे बसें 70-80 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ने लगती हैं। तेज गति के कारण यात्रा का समय कम हो जाता है, लेकिन इससे यात्रियों और चालकों की सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है।
ओवरलोडिंग पर नियंत्रण की कमी
ओवरलोडिंग पर कोई सख्त नियम लागू नहीं है। चालक व वाहक बसों में निर्धारित क्षमता से अधिक यात्री बैठा लेते हैं, जिससे दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है। अधिकारियों की अनदेखी से यह समस्या और गंभीर हो गई है। यात्रियों से भरी हुई बसों में कोई कार्रवाई नहीं होने से चालकों का मनोबल बढ़ता जा रहा है।
नई तकनीक से सुरक्षा का भरोसा
हालांकि, नई बसों में एडवांस तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जिससे स्पीड लॉक से छेड़छाड़ संभव नहीं है। प्रादेशिक व्यवस्थापक एसटी महामंडल नागपुर के एस. गबने का कहना है कि पुरानी बसों में इस तरह की छेड़छाड़ संभव थी, लेकिन आधुनिक बसों में यह समस्या खत्म हो गई है। इसके बावजूद ओवरलोडिंग और तेज रफ्तार की समस्या पर सख्ती से ध्यान देने की जरूरत है।