नागपुर न्यूज डेस्क: नागपुर में बुधवार से ही लोगों में रोष का माहौल है, क्योंकि चार साल पहले लगभग 6 करोड़ रुपये की लागत से बनकर तैयार हुई ज़ीरो माइल फ्रीडम पार्क को ध्वस्त करना शुरू कर दिया गया है। इसे लोहारपुल और महाराजबाग़ के बीच एक किलोमीटर से भी कम दूरी के लिए 150 करोड़ रुपये के नए अंडरपास के निर्माण के लिए हटाया जा रहा है।
स्थानीय लोग इस कदम को सार्वजनिक धन की बर्बादी मान रहे हैं। "अगर चार साल में करोड़ों रुपये का प्रोजेक्ट मिट सकता है, तो नए अंडरपास की लंबी उम्र पर भरोसा कैसे करें?" – यह सवाल एक सिटाबुलदी निवासी ने उठाया।
बाढ़ और योजना संबंधी चिंताएं
नागपुर के मौजूदा अंडरपास, जैसे एयरपोर्ट, नरेंद्र नगर और अजनी, मानसून में जलमग्न हो जाते हैं। नागरिकों का कहना है कि "हम बुनियादी समस्याओं को हल किए बिना फिर वही गलती दोहरा रहे हैं।"
अधिकारियों द्वारा बिना एनओसी, पर्यावरण मंजूरी और वैज्ञानिक अध्ययन के यह प्रोजेक्ट शुरू किए जाने की रिपोर्टें भी सामने आई हैं। लोग मानते हैं कि इस कमी के चलते सुरक्षा और दीर्घकालीन टिकाऊपन पर सवाल उठते हैं।
कानूनी लड़ाई और शंकाएं
एक नागरिक समूह ने बॉम्बे हाईकोर्ट के नागपुर बेंच में PIL दाखिल कर पार्क की ध्वस्ति को चुनौती दी है और निर्माण पर रोक लगाने की मांग की है। बावजूद इसके निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है।
स्थानीय सक्रिय नागरिकों का कहना है, "यह सिर्फ अंडरपास का मामला नहीं है, यह प्रशासनिक जवाबदेही और पारदर्शिता का सवाल है। हर कुछ साल में निर्माण और ध्वस्ति की इस चक्रव्यूह से जनता को पैसे, ट्रैफिक और पर्यावरण का नुकसान होता है।"
नागपुरवासियों की निगाहें अब इस नए महंगे प्रोजेक्ट पर टिकी हैं, सवाल उठाते हुए कि क्या अतीत से कोई सबक सीखा जाएगा।