बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने एक महत्वपूर्ण और संवेदनशील निर्णय लेते हुए भारतीय मूल के विवादास्पद इस्लामिक उपदेशक और भगोड़े जाकिर नाइक को देश में प्रवेश की अनुमति नहीं देने का फैसला किया है। मंगलवार को गृह मंत्रालय में आयोजित कानून एवं व्यवस्था कोर कमेटी की बैठक में यह निर्णय लिया गया, जिससे नाइक की नवंबर के अंत में होने वाली संभावित यात्रा पर पूर्ण विराम लग गया है। यह फैसला नाइक की संभावित उपस्थिति से उत्पन्न होने वाली कानून-व्यवस्था की चुनौतियों और भारत के साथ राजनयिक संवेदनशीलता को देखते हुए लिया गया है।
कानून-व्यवस्था बनी 'नो एंट्री' का आधार
कोर कमेटी की बैठक, जिसकी अध्यक्षता गृह मामलों के सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) मोहम्मद जहांगीर आलम चौधरी ने की, में जाकिर नाइक की यात्रा के सुरक्षा निहितार्थों पर विस्तार से चर्चा की गई। जनसैलाब और नियंत्रण चुनौती: स्थानीय समाचार पत्र 'प्रोथोम अलो' के सूत्रों के अनुसार, बैठक में यह राय बनी कि यदि जाकिर नाइक बांग्लादेश आते हैं, तो उनकी लोकप्रियता के कारण भारी भीड़ उमड़ेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि, "भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बड़ी संख्या में कानून प्रवर्तन कर्मियों की आवश्यकता होगी," और वर्तमान परिस्थितियों में इतनी बड़ी संख्या में सुरक्षा कर्मियों को तैनात करना संभव नहीं है।
अंतरिम सरकार की प्राथमिकता: वर्तमान में सत्ता में काबिज अंतरिम सरकार की प्राथमिकता देश में राजनीतिक स्थिरता और शांति बनाए रखना है। ऐसे में, किसी विवादास्पद विदेशी व्यक्ति की यात्रा से उत्पन्न होने वाले किसी भी संभावित तनाव या अव्यवस्था को टालना सरकार की नीति का हिस्सा है।
इवेंट कंपनी का दावा और सरकार का खंडन
यह पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब स्पार्क इवेंट मैनेजमेंट नामक एक कंपनी ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट पर यह घोषणा की कि वे नवंबर 2025 के अंत में जाकिर नाइक को बांग्लादेश लाएंगे। कंपनी ने दावा किया था कि "यह कार्यक्रम बांग्लादेश सरकार की अनुमति और संबंधित अधिकारियों के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है।" हालांकि, कोर कमेटी के इस नवीनतम फैसले ने इवेंट कंपनी के इन सभी दावों को खारिज कर दिया है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि नाइक की यात्रा को कोई सरकारी समर्थन प्राप्त नहीं है।
भारत की चिंता और ढाका का राजनयिक रुख
बांग्लादेश सरकार का यह फैसला केवल आंतरिक सुरक्षा पर आधारित नहीं है, बल्कि भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों की संवेदनशीलता को भी दर्शाता है। जाकिर नाइक भारत में मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद को बढ़ावा देने के आरोपों का सामना कर रहे हैं और वर्तमान में भगोड़े हैं, उन्हें भारतीय एजेंसियों द्वारा वांटेड घोषित किया गया है।
राजनयिक संज्ञान: बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता एसएम महबूबुल आलम ने रविवार को कहा था कि उन्होंने "भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता की ओर से... बांग्लादेश यात्रा की संभावना के बारे में की गई टिप्पणी का संज्ञान लिया है।" भगोड़ों पर स्पष्ट नीति: आलम ने अपने बयान में आगे कहा था, "हमारा यह भी मानना है कि भारत सहित किसी भी देश को किसी अन्य देश के किसी भी आरोपी या भगोड़े व्यक्ति को शरण नहीं देनी चाहिए।"
बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय के इस बयान को नाइक के संबंध में भारत की चिंता को समझने और सम्मान देने के रूप में देखा गया था। आज का कोर कमेटी का निर्णय उसी राजनयिक रुख की पुष्टि करता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि ढाका अपनी जमीन का उपयोग भारत के खिलाफ गतिविधियों के लिए नहीं होने देगा।
जाकिर नाइक को बांग्लादेश में प्रवेश न देने का अंतरिम सरकार का फैसला एक बहुआयामी कदम है—यह एक ओर आंतरिक कानून-व्यवस्था बनाए रखने की अनिवार्यता को दर्शाता है, वहीं दूसरी ओर यह पड़ोसी देश भारत के साथ मजबूत और संवेदनशील राजनयिक संबंधों को बनाए रखने की बांग्लादेश की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। यह स्पष्ट है कि विवादित व्यक्तियों को अपने देश की सीमाओं से दूर रखने की नीति पर ढाका अब दृढ़ता से कायम है।