सोशल मीडिया पर इन दिनों एक वीडियो क्लिप जंगल की आग की तरह फैल रही है, जिसमें यह दावा किया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ के एक विधायक ने गौ-रक्षकों की गिरफ्तारी से गुस्सा होकर एक पुलिसकर्मी को थाने के भीतर थप्पड़ जड़ दिया। इस वीडियो को 'छत्तीसगढ़ के शेर विधायक' के नाम से प्रचारित किया जा रहा है, और इसके साथ जुड़ी कहानी में कहा गया है कि पुलिस ने गायों से भरे एक ट्रक को जाने दिया और विरोध करने वाले गौ-रक्षकों को ही गिरफ्तार कर लिया, जिसके बाद विधायक ने थाने पहुंचकर पुलिसकर्मी को सबक सिखाया।
आजतक फैक्ट चेक (AFTC) की गहन जांच में यह पाया गया है कि यह दावा पूरी तरह से झूठा और भ्रामक है। वायरल वीडियो वास्तव में दो अलग-अलग और असंबद्ध घटनाओं की क्लिप्स को जोड़कर बनाया गया है, जिनका छत्तीसगढ़ या किसी विधायक से कोई संबंध नहीं है।
वायरल वीडियो का विखंडन: दो राज्यों की दो अलग-अलग क्लिप्स
वायरल हो रहे वीडियो में दो मुख्य हिस्से हैं: एक थप्पड़ मारने की घटना और दूसरी पुलिस द्वारा बल प्रयोग की घटना। AFTC ने दोनों क्लिप्स की रिवर्स इमेज सर्च और गहन जांच की, जिसमें निम्नलिखित तथ्य सामने आए:
क्लिप 1: थप्पड़ मारने की घटना (महाराष्ट्र, 2024)
सफेद शर्ट पहने एक शख्स द्वारा ऑफिस में बैठे एक व्यक्ति को थप्पड़ मारने वाली क्लिप छत्तीसगढ़ की नहीं है, बल्कि महाराष्ट्र के जालना जिले की है।
घटना का स्थान और समय: यह घटना अगस्त 2024 की है, जब महाराष्ट्र के जालना जिले में बैंक ऑफ महाराष्ट्र की वरुड शाखा में यह वाकया हुआ था।
शामिल व्यक्ति: थप्पड़ मारने वाले शख्स की पहचान मयूर बोर्डे के रूप में हुई थी, जो स्वाभिमानी शेतकारी संगठन के यूथ विंग के नेता थे। थप्पड़ खाने वाला व्यक्ति बैंक का मैनेजर धीरेंद्र सोनकर था।
विवाद का कारण: रिपोर्ट्स के अनुसार, बैंक मैनेजर पर किसानों को बार-बार उनके पैसे निकालने से रोकने का आरोप था। किसानों के साथ बैंक पहुंचे बोर्डे की मैनेजर से कहासुनी हो गई और उन्होंने मैनेजर को थप्पड़ मार दिया। यह घटना गौ-रक्षकों की गिरफ्तारी या किसी पुलिसकर्मी से जुड़ी हुई नहीं थी।
क्लिप 2: पुलिस द्वारा बल प्रयोग की घटना (हरियाणा, 2025)
वीडियो के दूसरे हिस्से में, जहां एक पुलिसकर्मी एक व्यक्ति के बाल पकड़कर खींचते हुए उसे पुलिस वाहन में ले जाता दिख रहा है, वह क्लिप हरियाणा के पानीपत जिले की है।
घटना का स्थान और समय: यह घटना अप्रैल 2025 की है और यह पानीपत में पुलिस और गौ-रक्षकों के बीच हुई झड़प से संबंधित है।
विवाद का कारण: मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जिस व्यक्ति के बाल खींचे जा रहे हैं, उसकी पहचान करण के रूप में हुई। करण ने पुलिस पर आरोप लगाया था कि उन्होंने पशु तस्करों की दो गाड़ियों को पकड़वाया था, लेकिन पुलिस ने बिना कोई कार्रवाई किए गाड़ियों को छोड़ दिया और जब उन्होंने इसका विरोध किया, तो पुलिसकर्मियों ने उनके साथ गाली-गलौज और मारपीट की।
प्रशासनिक कार्रवाई: इस मामले के सामने आने और करण द्वारा पानीपत के एसपी लोकेंद्र सिंह से शिकायत किए जाने के बाद, प्रशासन ने तेजी से कार्रवाई की। शिकायत मिलने के मात्र 10 घंटे के भीतर, चार पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की गई: दो को निलंबित (Suspended) किया गया, एक को बर्खास्त (Dismissed) किया गया, और चौथे को ड्यूटी से हटा दिया गया था।
निराधार दावा और वायरल मार्केटिंग
जांच से यह स्पष्ट होता है कि वायरल पोस्ट में किया जा रहा दावा पूरी तरह से मनगढ़ंत है। छत्तीसगढ़ में किसी विधायक द्वारा थाने में पुलिसकर्मी को थप्पड़ मारने की कोई हालिया या पुरानी विश्वसनीय रिपोर्ट नहीं मिली है। सोशल मीडिया पर यह वीडियो गौ-रक्षकों और पुलिस प्रशासन के बीच तनाव की संवेदनशील स्थिति का फायदा उठाने के लिए बनाया गया है।
सोशल मीडिया उपयोगकर्ता जानबूझकर महाराष्ट्र और हरियाणा में हुई दो अलग-अलग घटनाओं की क्लिप्स को जोड़कर एक भावनात्मक और सनसनीखेज कहानी गढ़ रहे हैं ताकि उसे अधिक से अधिक शेयर और व्यूज मिल सकें। यह 'फेक न्यूज' का एक क्लासिक उदाहरण है, जहां वास्तविक फुटेज का उपयोग एक पूरी तरह से झूठी कथा को विश्वसनीयता प्रदान करने के लिए किया जाता है।
AFTC सभी उपयोगकर्ताओं को सलाह देता है कि वे सोशल मीडिया पर ऐसी भावनात्मक रूप से उत्तेजक सामग्री पर विश्वास करने से पहले उसकी सत्यता की जांच अवश्य करें। इस तरह की भ्रामक पोस्ट समाज में अनावश्यक तनाव और पुलिस बल के प्रति अविश्वास पैदा कर सकती हैं।