यह एक अत्यंत दुखद समाचार है। उत्तराखंड के पहाड़ी रास्तों पर एक बार फिर सड़क हादसे ने कई परिवारों को शोक में डुबो दिया है। अल्मोड़ा जिले के भिकियासैंण तहसील के अंतर्गत सीलापानी के पास हुए इस भीषण हादसे ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है।
हादसे का विवरण और तात्कालिक स्थिति
प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, यात्रियों से भरी एक बस अनियंत्रित होकर गहरी खाई में जा गिरी। दुर्घटना इतनी भीषण थी कि बस के परखच्चे उड़ गए। प्राप्त जानकारी के मुताबिक, इस हादसे में अब तक 7 लोगों की मौत की पुष्टि की जा रही है, जबकि कई अन्य यात्री घायल बताए जा रहे हैं।
दुर्घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय प्रशासन, पुलिस और एसडीआरएफ (SDRF) की टीमें मौके के लिए रवाना हो गई हैं। पहाड़ी क्षेत्र और गहरी खाई होने के कारण राहत और बचाव कार्य में काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय ग्रामीणों ने भी प्रशासन के पहुंचने से पहले घायलों की मदद के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया था।
राहत और बचाव कार्य (Update)
हादसे वाली जगह पर रेस्क्यू टीमें पहुंच चुकी हैं। घायलों को खाई से निकालकर नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया जा रहा है। गंभीर रूप से घायल यात्रियों को बेहतर उपचार के लिए हायर सेंटर रेफर करने की तैयारी की जा रही है। जिला प्रशासन ने हेल्पलाइन नंबर जारी करने और मृतकों के परिजनों को सूचित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
उत्तराखंड में बढ़ते सड़क हादसे: एक गंभीर चिंता
उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों, विशेषकर अल्मोड़ा, पौड़ी और चमोली में आए दिन इस तरह के हादसे सामने आ रहे हैं। भिकियासैंण के पास हुआ यह हादसा कई सवाल खड़े करता है:
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सड़कों की स्थिति: क्या सीलापानी के पास सड़क की चौड़ाई पर्याप्त थी या वहां सुरक्षा दीवार (Paramets) की कमी थी?
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वाहन की स्थिति: क्या बस की फिटनेस सही थी या तकनीकी खराबी के कारण चालक ने नियंत्रण खो दिया?
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ओवरलोडिंग: अक्सर पहाड़ी मार्गों पर क्षमता से अधिक सवारियां बिठाना भी हादसों का मुख्य कारण बनता है।
प्रशासन और सरकार की प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया है और जिला प्रशासन को घायलों के समुचित उपचार के निर्देश दिए हैं। प्रशासन ने मृतकों के आश्रितों और घायलों के लिए नियमानुसार मुआवजे की घोषणा की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।
यात्रियों और चालकों के लिए जरूरी सावधानियां
पहाड़ी रास्तों पर सफर करते समय सावधानी ही बचाव का सबसे बड़ा जरिया है:
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गति सीमा का पालन: मोड़दार रास्तों पर गति को नियंत्रित रखना अनिवार्य है।
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रात के सफर से बचें: धुंध और कम रोशनी के कारण रात में पहाड़ी रास्तों पर जोखिम बढ़ जाता है।
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नियमित जांच: लंबी दूरी की यात्रा से पहले वाहन के ब्रेक, टायर और इंजन की जांच जरूर कराएं।
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सतर्कता: मोड़ पर हॉर्न का प्रयोग करें और ओवरटेकिंग से बचें।