ग्रेटर नोएडा स्थित गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय (GBU) इस समय विवादों के केंद्र में है। समाजवादी पार्टी (सपा) ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर फीस घोटाले, अवैध नियुक्तियों और सरकारी नियमों की अनदेखी के गंभीर आरोप लगाए हैं। सोमवार को एक प्रेस वार्ता के दौरान सपा छात्रसभा के जिलाध्यक्ष मोहित नागर ने कुलपति और रजिस्ट्रार की कार्यप्रणाली पर तीखे सवाल उठाए, जिससे संस्थान की साख पर प्रश्नचिह्न लग गया है।
करोड़ों का 'फीस घोटाला' और समिति की चुप्पी
सपा नेता मोहित नागर का सबसे बड़ा आरोप छात्रों से वसूली गई मोटी फीस को लेकर है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों से लगभग 20 से 25 लाख रुपये तक फीस वसूली गई है।
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जांच में देरी: शैक्षणिक सत्र 2024-26 के दौरान जमा की गई फीस में अनियमितता की जांच के लिए 23 अप्रैल 2025 को एक समिति का गठन किया गया था।
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रिपोर्ट का इंतजार: समिति को अपनी रिपोर्ट 20 दिनों के भीतर देनी थी, लेकिन महीनों बीत जाने के बाद भी अभी तक कोई रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई है। सपा का आरोप है कि छात्रों की गाढ़ी कमाई के नाम पर एक बड़ा घोटाला किया गया है, जिसमें शीर्ष अधिकारी शामिल हैं।
नियुक्तियों में मनमानी और अनुभव की अनदेखी
सपा ने आरोप लगाया कि कुलपति प्रोफेसर राणा प्रताप सिंह ने विश्वविद्यालय के नियमों और यूजीसी (UGC) की गाइडलाइंस को ताक पर रखकर अपने करीबियों को रेवड़ियों की तरह पद बांटे हैं।
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बिना अनुभव भर्ती: फरवरी में कई ऐसे लोगों को वरिष्ठ पदों पर नियुक्त किया गया जिनके पास आवश्यक शैक्षणिक योग्यता या अध्यापन अनुभव नहीं था।
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पुराने शिक्षकों की अनदेखी: इन नई भर्तियों में पिछले 15 वर्षों से सेवा दे रहे अनुभवी शिक्षकों को दरकिनार कर दिया गया। यहाँ तक कि एक महिला को सीधे 'डीन' के पद पर बैठा दिया गया।
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गलत विभाग में नियुक्ति: एक विशेष मामला प्रोफेसर उत्तम सिंह का सामने आया है, जो उप-कुलसचिव (Deputy Registrar) के पद पर हैं। आरोप है कि वह भूगोल के शिक्षक हैं, लेकिन उन्हें समाजशास्त्र विभाग में नियुक्त किया गया है।
लोकायुक्त की जांच और सपा का अल्टीमेटम
विश्वविद्यालय में व्याप्त इन कथित अनियमितताओं की शिकायत अब लोकायुक्त तक पहुँच चुकी है। लोकायुक्त कार्यालय ने इन शिकायतों का संज्ञान लेते हुए कुलपति प्रोफेसर राणा प्रताप सिंह को 20 जनवरी 2026 तक अपना लिखित पक्ष प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।
सपा नेता ने विश्वविद्यालय के रखरखाव (Maintenance) के लिए आने वाले करोड़ों रुपये के फंड के ऑडिट को सार्वजनिक न करने का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार और यूनिवर्सिटी प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा: "यदि 5 जनवरी तक जांच रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई और दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो समाजवादी पार्टी विश्वविद्यालय का घेराव करेगी और बड़े स्तर पर आंदोलन छेड़ेगी।"