मुंबई, 01 अक्टूबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शताब्दी समारोह में संबोधित करते हुए कहा कि संघ ने अपने 100 वर्षों के सफर में कभी कटुता नहीं दिखाई। चाहे उस पर प्रतिबंध लगा हो या साजिश रची गई हो, स्वयंसेवकों का मंत्र हमेशा यही रहा है कि जो अच्छा है, जो कम अच्छा है, सब हमारा है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने RSS के योगदान को दर्शाने वाला स्मारक डाक टिकट और सिक्का भी जारी किया। उन्होंने कहा कि संघ के स्वयंसेवक लगातार देश सेवा और समाज को सशक्त बनाने में लगे हैं और इसका प्रतिबिंब इस डाक टिकट में भी दिखाई देता है।
मोदी ने कहा कि RSS की स्थापना मात्र एक संयोग नहीं थी, बल्कि यह हजारों साल की परंपरा और भारतीय संस्कृति की न्याय और प्रकाश की अवधारणा का पुनरुत्थान था। उनके अनुसार संघ उसी अनादि राष्ट्र चेतना का अवतार है, जो समय-समय पर चुनौतियों का सामना करने के लिए नए रूप में प्रकट होती रही है। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि संघ और उसके स्वयंसेवकों का उद्देश्य हमेशा से राष्ट्र प्रथम रहा है। समाज के विभिन्न क्षेत्रों में संगठन लगातार काम कर रहा है। RSS ने व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण का रास्ता चुना और शाखा को इसकी आधारशिला बनाया। प्रधानमंत्री ने चेताया कि आज देश के सामने घुसपैठियों की समस्या सबसे बड़ी चुनौती है। इसके अलावा डेमोग्राफी में बदलाव के षड्यंत्र और अन्य देशों पर आर्थिक निर्भरता जैसी चुनौतियों से भी सरकार तेजी से निपट रही है। उन्होंने कहा कि स्वयंसेवक होने के नाते उन्हें खुशी है कि संघ ने इन मुद्दों से निपटने के लिए ठोस रोडमैप तैयार किया है।
RSS अपना शताब्दी वर्ष इस दशहरा से शुरू कर रहा है। इसके तहत 2 अक्टूबर 2025 से 20 अक्टूबर 2026 तक देशभर में सात बड़े कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। साथ ही संघ प्रमुख मोहन भागवत अमेरिका और यूरोप के कई देशों में भी इन अवसरों से जुड़े कार्यक्रमों में हिस्सा ले सकते हैं।