नागपुर न्यूज डेस्क: महाराष्ट्र में ओबीसी आरक्षण को लेकर जारी आंदोलन गुरुवार को समाप्त हो गया। नागपुर में छह दिन तक चले इस आंदोलन को खत्म करने के लिए राज्य सरकार ने स्पष्ट किया कि मराठा आरक्षण के फैसले का ओबीसी आरक्षण पर कोई असर नहीं पड़ेगा। ओबीसी कल्याण मंत्री अतुल सावे स्वयं आंदोलन स्थल पहुंचे और प्रदर्शनकारियों को आश्वस्त किया कि सरकार मौजूदा ओबीसी आरक्षण की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
आंदोलन राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ द्वारा 30 अगस्त को नागपुर के संविधान चौक पर भूख हड़ताल के रूप में शुरू किया गया था। यह आंदोलन तब तेज हुआ जब मराठा आरक्षण की मांग को लेकर मनोज जरांगे ने मुंबई में अनिश्चितकालीन उपवास शुरू किया। ओबीसी संगठन ने मराठा समुदाय को ओबीसी श्रेणी में शामिल करने का विरोध किया और सरकार के सामने 14 मांगें रखीं, जिनमें कुंभी प्रमाणपत्र बिना ऐतिहासिक सबूत के न देने और मराठाओं की ओबीसी में एंट्री रोकना प्रमुख थे।
मंत्री सावे ने प्रदर्शनकारियों से कहा कि उनकी 14 में से 12 मांगें सरकार मानने के लिए तैयार है। बाकी दो मुद्दों पर अगले सप्ताह मुंबई में बैठक में चर्चा होगी। साथ ही उन्होंने ओबीसी उद्यमियों को आर्थिक मदद दिलाने के उपायों की जानकारी दी, जिसमें बैंकिंग सीआईबीआईएल स्कोर में राहत और गारंटर की संख्या घटाना शामिल है।
सावे ने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ओबीसी समेत विभिन्न समुदायों के लिए 22 विकास निगम बनाए हैं। पहले चरण में प्रत्येक निगम को पांच करोड़ रुपये मिले थे, जिसे अब 50 करोड़ रुपये तक बढ़ा दिया गया है। इस साल लगभग 1,200 करोड़ रुपये इन निगमों और योजनाओं के जरिए समुदायों तक पहुंचेंगे। आंदोलन खत्म होने की घोषणा राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ के अध्यक्ष बाबन तायवड़े ने की। मौके पर भाजपा एमएलसी परिनय फुके भी मौजूद रहे।