नागपुर न्यूज डेस्क: यह मामला अल्पवयीन बच्चों की सुरक्षा और कानून की सख्ती को उजागर करता है। बंबई उच्च न्यायालय, नागपुर खंडपीठ ने स्पष्ट कर दिया है कि अल्पवयीन लड़की से शारीरिक संबंध और उसके बाद विवाह करना भी पोक्सो अधिनियम के तहत अपराध को रद्द नहीं करता। न्यायाधीश उर्मिला जोशी फालके और नंदेश देशपांडे की खंडपीठ ने कहा कि आरोपी बडी उम्र का था और उसे संयम रखना चाहिए था। लड़की की सहमति कानून के अनुसार अमान्य मानी जाती है।
अकोला जिले के तेल्हारा थाना अंतर्गत यह मामला 1 जुलाई को सामने आया। एक नाबालिग लड़की ने फातिमा नर्सिंग होम में बच्चे को जन्म दिया। 2 जून 2024 को लड़की की उम्र कम होने के बावजूद उसका 29 वर्षीय मिर्झा असलम से निकाह हुआ था। पुलिस ने आरोपी और उसके पालकों के खिलाफ पोक्सो, बीएनएस और बाल विवाह प्रतिबंधक कानून के तहत मामला दर्ज किया।
अदालत में आरोपी के वकील ने दावा किया कि दोनों के बीच प्रेम संबंध थे और परिवारों की सहमति से निकाह किया गया। पीड़िता ने भी बताया कि उस पर कोई जबरदस्ती नहीं हुई और वह पति व बच्चे के साथ खुश है। हालांकि, सरकारी पक्ष ने तर्क दिया कि आरोपी ने नाबालिग का शोषण किया और पोक्सो अधिनियम के तहत नाबालिग की सहमति कानूनी रूप से मान्य नहीं है। अदालत ने केंद्र सरकार की राय को भी ध्यान में रखते हुए कहा कि उम्र घटाकर इसे वैध मानना बालिकाओं के शोषण को बढ़ावा देना होगा, जो स्वीकार्य नहीं है।