नागपुर न्यूज डेस्क: बलरामपुर में मतांतरण मामले में पकड़े गए छांगुर उर्फ जलालुद्दीन के नेटवर्क में नागपुर निवासी ईदुल इस्लाम की अहम भूमिका सामने आई है। ईदुल, नागपुर से लेकर बलरामपुर तक प्रशासनिक अफसरों को मैनेज करता था और खुद को राष्ट्रीय महासचिव बताकर रसूख दिखाता था। एटीएस की जांच में पता चला है कि ईदुल ने छांगुर को सरकारी छांव दिलाने में मदद की, जिससे वह अपने काले कारनामों को आसानी से अंजाम देता रहा।
इस पूरे नेटवर्क में छांगुर के गुर्गों ने एटीएस के मुख्य गवाह हरजीत कश्यप को धमकाते हुए बयान बदलने का दबाव बनाया। पुलिस ने तीन गुर्गों के खिलाफ केस दर्ज किया है, लेकिन वे फिलहाल फरार हैं। मामले में अन्य गवाहों पर भी खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। छांगुर ने अंगूठी और नग बेचने के बहाने मुंबई में मतांतरण का नेटवर्क फैलाया और नेपाल, दुबई तक अपने गिरोह का जाल फैला लिया। नीतू और नवीन को अपने गिरोह में शामिल कर तीन-चार साल में करोड़ों की कमाई की।
छांगुर के महाराष्ट्र नेटवर्क में ईदुल इस्लाम ढाल बना रहा। उसकी प्रशासनिक पकड़ इतनी थी कि उतरौला और आसपास के क्षेत्रों में सरकारी जमीनें आसानी से छांगुर के नाम हो जाती थीं। छांगुर ने पुणे के लोनावला में भी 16 करोड़ रुपये में जमीन खरीदी थी। ईडी ने इस सौदे की जांच शुरू कर दी है और छांगुर के मुंबई व उतरौला के ठिकानों पर छापेमारी की है।
इस पूरे मामले में एसटीएफ और ईडी भी एटीएस के साथ मिलकर छांगुर, नीतू, नवीन और महबूब के खिलाफ ठोस साक्ष्य जुटाने में लगी हुई हैं। महाराष्ट्र से लेकर नेपाल तक फैले इस मतांतरण रैकेट की परतें खुलती जा रही हैं और इसमें कई प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत की जांच भी जारी है।