नागपुर न्यूज डेस्क: नागपुर में निर्मल उज्ज्वल क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी को लेकर बड़ा खुलासा उस वक्त सामने आया, जब शहर के तत्कालीन पुलिस आयुक्त ने 29 जून 2023 को केंद्रीय सहकारी सोसायटी रजिस्ट्रार को एक महत्वपूर्ण पत्र भेजा। इस पत्र में सोसाइटी के पदाधिकारियों पर बेहद गंभीर वित्तीय अनियमितताओं, नियमों के उल्लंघन और आपराधिक कदाचार के आरोपों का जिक्र किया गया था। खास तौर पर कहा गया कि सोसाइटी में जनता का 1400 करोड़ रुपये से अधिक निवेश खतरे में है, और अगर तत्काल कदम न उठे तो बैंक रन जैसी स्थिति भी पैदा हो सकती है।
इसी पत्र के आधार पर बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने तीन याचिकाओं की सुनवाई के दौरान राज्य पुलिस और केंद्रीय रजिस्ट्रार की निष्क्रियता पर कड़ी टिप्पणी की। कोर्ट ने साफ कहा कि जांच एजेंसी सच्चाई सामने लाने में दिलचस्पी नहीं दिखा रही है। इसी वजह से कोर्ट ने सोसाइटी की याचिका खारिज करते हुए और अन्य दो याचिकाओं को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए CBI जांच का आदेश दिया। तत्कालीन पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार ने अपने पत्र में सोसाइटी के संस्थापक प्रमोद मानमोडे पर भी गंभीर आरोप लगाए थे और एमपीआईडी एक्ट के तहत आपराधिक कार्रवाई की मांग की थी।
जिन अनियमितताओं का जिक्र पत्र में किया गया, उनमें अवैध रूप से गैर-सदस्यों से जमा राशि लेना, अनुमत सीमा से कहीं अधिक फंड जुटाना और एनपीए पर ब्याज को लाभ दिखाने जैसी वित्तीय गड़बड़ियां शामिल थीं। इतना ही नहीं, 317 करोड़ रुपये से अधिक राशि बिना अनुमति अन्य उद्यमों में ट्रांसफर किए जाने का दावा भी किया गया। आरोप यह भी है कि सोसाइटी के फंड का इस्तेमाल निर्मल अर्बन कोऑपरेटिव बैंक की गड़बड़ियों को ढकने के लिए किया गया।
इन खुलासों और कानूनी कार्रवाई के दबाव के बाद मामला और गंभीर हो गया, क्योंकि सोसाइटी के निवेशकों की जमा राशि पर सीधा खतरा बताया गया है। हाईकोर्ट की फटकार के बाद अब CBI पूरे नेटवर्क की जांच में जुट गई है—चाहे वह जमा राशि की अनियमितताएं हों, गलत निवेश हों या फंड डायवर्जन से जुड़े मामले। फिलहाल निवेशकों के लिए भी यह मामला बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है, और आगे की कार्रवाई पर सबकी नजर टिकी है।