नागपुर न्यूज डेस्क: शहर में बड़े पैमाने पर बनी सीमेंट सड़कों की वजह से सड़क की सतह ऊंची हो गई है, जिससे बारिश का पानी आसपास के घरों में घुस रहा है। इस स्थिति पर बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने कड़ी नाराजगी जताई है। अदालत ने साफ कहा है कि आगामी मानसून में नागरिकों को ऐसी परेशानी न झेलनी पड़े, इसके लिए अभी से ठोस कदम उठाए जाएं। कोर्ट ने नागपुर महानगरपालिका को मानसून से पहले किए जाने वाले इंतजामों और भविष्य में सीमेंट सड़क निर्माण की योजना पर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
यह मामला जनमंच संस्था के अध्यक्ष राजीव जगताप द्वारा दायर जनहित याचिका के जरिए कोर्ट के सामने आया है। इस याचिका पर न्यायमूर्ति अनिल पानसरे और न्यायमूर्ति राज वाकोडे की पीठ ने सुनवाई की। हाईकोर्ट ने याचिका के दायरे को बढ़ाते हुए नागपुर शहर के साथ-साथ विदर्भ क्षेत्र की सड़कों से जुड़ी समस्याओं को भी इसमें शामिल कर लिया है। इससे पहले कोर्ट बेसा-पिपला मार्ग, नागपुर-अमरावती रोड, चौदावा मैल, आष्टी और रहाटगांव जैसे इलाकों में सड़कों की खराब स्थिति और सर्विस लेन में यातायात दिक्कतों पर आदेश दे चुका है।
पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सड़क और पेवर ब्लॉक के असमान जोड़ को भी गंभीर खतरा बताया था। अदालत ने कहा था कि ऐसे जोड़ों के कारण खासतौर पर दोपहिया वाहन चालकों के दुर्घटनाग्रस्त होने की आशंका बढ़ जाती है। लोक निर्माण विभाग की ओर से बताया गया कि इस समस्या के समाधान के लिए उपाय किए जा रहे हैं। इसके बावजूद हाईकोर्ट ने शहर और हाईवे दोनों जगहों पर ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सरकार से दो सप्ताह के भीतर लिखित जवाब दाखिल करने को कहा है।
मंगलवार को हुई ताजा सुनवाई में सड़कों के सीमेंटीकरण से बढ़ी ऊंचाई और जलभराव के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा हुई। हाईकोर्ट ने मनपा के कामकाज और समग्र व्यवस्था पर असंतोष जताया। मनपा की ओर से कोर्ट को बताया गया कि समाधान के लिए वीएनआईटी से सलाह लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसके बाद अदालत ने मानसून से पहले उठाए जाने वाले कदमों और आगे बनने वाली सीमेंट सड़कों को लेकर शपथ-पत्र दाखिल करने के निर्देश दिए। इस मामले की अगली सुनवाई क्रिसमस अवकाश के बाद होगी।