नागपुर न्यूज डेस्क: नागपुर की हवा प्रदूषित हो रही है और यह लोगों की सेहत के लिए गंभीर खतरा बन चुकी है। धुआं, धूल-मिट्टी और औद्योगिक प्रदूषक हवा में घुलकर फेफड़ों की बीमारियों और संभावित कैंसर का कारण बन रहे हैं। हालांकि सरकारी अस्पतालों में कैंसर के मामलों में सीधे तौर पर प्रदूषण की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन डॉक्टर इसे संभावित खतरा मान रहे हैं। प्रदूषणग्रस्त इलाकों में फेफड़ों के कैंसर, ब्लड कैंसर और लंग टिशू डैमेज का खतरा बढ़ गया है।
शहर में औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स कमजोर या खराब श्रेणी में पहुंच चुका है। कमजोर सड़कों पर धूल, वाहनों का धुआं और औद्योगिक क्षेत्रों से निकलते प्रदूषक नागपुर की हवा में घुल चुके हैं। पीएम 2.5 और पीएम 10 कण सबसे ज्यादा चिंता का विषय हैं, क्योंकि ये छोटे कण शरीर में जाकर फेफड़ों की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं।
मेडिकल और मेयो अस्पतालों में श्वसन रोगियों की संख्या हर साल बढ़ रही है। मेडिकल में हर महीने 200 और मेयो में 150 से अधिक मरीज आते हैं। इनमें सांस की तकलीफ, खांसी, ब्रोंकाइटिस और सीओपीडी जैसे लक्षण पाए जाते हैं। पहले से अस्थमा या फेफड़ों की बीमारी वाले मरीजों की स्थिति प्रदूषण के कारण और गंभीर हो रही है।
भांडेवाड़ी डंपिंग यार्ड के कारण हवा और भी प्रदूषित हो रही है। यहां बार-बार लगी आग से डायऑक्सिन, मिथेन, अमोनिया और बेंजीन जैसी कैंसरजनक गैसें निकलती हैं। आसपास की बस्तियों में रहने वाले लोग सांस फूलने, आंखों में जलन, त्वचा रोग और लगातार खांसी जैसी समस्याओं से परेशान हैं। अब नागपुर में सिर्फ सांस की ही नहीं, बल्कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ चुका है।