Martial Law: क्या है मार्शल लॉ? थाईलैंड के 8 जिलों में हुआ लागू, आपातकाल से कितना अलग

Photo Source :

Posted On:Saturday, July 26, 2025

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा विवाद गहराता जा रहा है, जिसके कारण थाईलैंड सरकार ने कंबोडिया की सीमा से सटे दो राज्यों के आठ जिलों में मार्शल लॉ लागू कर दिया है। यह कदम तनावपूर्ण हालात को नियंत्रित करने के लिए उठाया गया है। थाईलैंड के चंथाबुरी और ट्राट राज्यों के कई जिलों में सेना को प्रशासनिक और कानून व्यवस्था का पूरा नियंत्रण सौंपा गया है।

चंथाबुरी में मुआंग चंथाबुरी, था माई, माखम, लाम सिंग, काएंग हैंग माएव, ना याई अम और खाओ खिचाकुट जिलों के साथ-साथ ट्राट राज्य का खाओ समिंग जिला भी मार्शल लॉ के दायरे में आ गया है। सेना के कमांडर एपिचार्ट सैप्रासर्ट ने यह जानकारी दी है।

मार्शल लॉ क्या है?

मार्शल लॉ एक आपातकालीन शासन व्यवस्था है जिसमें सेना को कानून और प्रशासन का पूर्ण नियंत्रण दे दिया जाता है। जब कोई क्षेत्र अस्थिर हो जाता है और वहां की स्थानीय सरकार और पुलिस व्यवस्था संकट में पड़ जाती है, तब सरकार सेना को वहां तैनात कर मार्शल लॉ लागू करती है। मार्शल लॉ के तहत प्रशासन, न्यायपालिका, पुलिस—सब कुछ सेना के नियंत्रण में आ जाता है।

इसका मतलब है कि उस क्षेत्र में सेना के आदेश सर्वोपरि होते हैं। आम नागरिकों के अधिकार सीमित हो जाते हैं, स्वतंत्रता पर पाबंदी लग सकती है, कर्फ्यू लागू किया जा सकता है और जनसभा करने पर रोक लगाई जा सकती है।

मार्शल लॉ कब लगाया जाता है?

मार्शल लॉ मुख्यत: तब लगाया जाता है जब देश या क्षेत्र में:

  • युद्ध की स्थिति हो,

  • गृहयुद्ध या विद्रोह छिड़ा हो,

  • बड़ी प्राकृतिक आपदा आई हो,

  • कानून व्यवस्था बनाए रखना मुश्किल हो,

  • अथवा कोई गंभीर अशांति फैल रही हो।

यह किसी एक शहर, राज्य या पूरे देश में लगाया जा सकता है।

मार्शल लॉ लगने पर क्या होता है?

मार्शल लॉ लागू होने के बाद सेना स्थानीय प्रशासन की जगह लेती है। पुलिस और न्यायपालिका की जगह सेना के कानून और नियम लागू होते हैं। इसके तहत नागरिकों के मौलिक अधिकार जैसे बोलने की स्वतंत्रता, प्रेस की स्वतंत्रता, आंदोलन और सभा का अधिकार सीमित हो जाता है। लोगों की आवाजाही पर पाबंदी लग सकती है, और सेना कर्फ्यू भी लगा सकती है। इसके अलावा, बिना मुकदमे के किसी को हिरासत में लेना, संपत्ति जब्त करना भी संभव हो जाता है।

मार्शल लॉ और आपातकाल में क्या अंतर है?

मार्शल लॉ और आपातकाल दोनों ही आपात स्थिति के दौरान लागू होते हैं, लेकिन दोनों में कई महत्वपूर्ण अंतर होते हैं:

  • प्रशासनिक नियंत्रण: मार्शल लॉ में सेना पूरे प्रशासन का नियंत्रण ले लेती है, जबकि आपातकाल में सेना की भूमिका सीमित और सहायक होती है।

  • स्थानीय सरकार और अदालतें: मार्शल लॉ में स्थानीय सरकार और सामान्य अदालतें सस्पेंड हो जाती हैं, लेकिन आपातकाल में अदालतें सामान्य तौर पर काम करती रहती हैं।

  • मौलिक अधिकार: मार्शल लॉ में कुछ मौलिक अधिकार निलंबित हो सकते हैं, पर आपातकाल में कई अधिकार पूरी तरह निलंबित हो सकते हैं।

  • कानून व्यवस्था: मार्शल लॉ में सेना के नियम लागू होते हैं, जबकि आपातकाल में कार्यपालिका और संसद की शक्तियां बढ़ जाती हैं।

भारत और दुनिया में मार्शल लॉ और आपातकाल के उदाहरण

  • भारत में 1975 से 1977 तक आपातकाल लागू था, जिसे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने संवैधानिक प्रावधानों के तहत घोषित किया था।

  • पाकिस्तान में साल 2007 में परवेज मुशर्रफ ने मार्शल लॉ लागू किया था, जिसके तहत सेना ने सरकार का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया था।


वर्तमान हालात और प्रभाव

थाईलैंड ने कंबोडिया की सीमा से लगे इलाकों में मार्शल लॉ लागू कर कड़ा सैन्य नियंत्रण स्थापित कर दिया है। इसका मकसद सीमा पर बढ़ते संघर्ष को नियंत्रित करना और स्थिति को स्थिर करना है। चंथाबुरी और ट्राट के कुल आठ जिलों में यह लागू किया गया है, जहां सीमा पर तनाव की स्थिति ज्यादा गंभीर है।

मार्शल लॉ के लागू होने से इन जिलों में प्रशासनिक कामकाज पूरी तरह से सेना के अधीन आ गया है। इसके तहत सेना कर्फ्यू लागू कर सकती है, नागरिकों की आवाजाही को नियंत्रित कर सकती है और सुरक्षा के नाम पर कठोर कदम उठा सकती है।

इसके साथ ही, थाईलैंड ने सीमा पर मौजूद छह नेशनल पार्कों को भी बंद कर दिया है, और वहां रहने वाले रेंजर्स को सुरक्षित जगहों पर भेज दिया गया है। यह कदम भी सुरक्षा कारणों से उठाया गया है ताकि क्षेत्र में किसी भी तरह की अप्रिय घटना से बचा जा सके।


निष्कर्ष

मार्शल लॉ की घोषणा एक गंभीर संकेत है कि थाईलैंड-कंबोडिया सीमा पर हालात अत्यंत तनावपूर्ण और अस्थिर हो चुके हैं। इस स्थिति में सामान्य प्रशासन असमर्थ हो जाता है और सेना को स्थिति नियंत्रित करने के लिए हाथ में पूर्ण अधिकार देना पड़ता है।

हालांकि मार्शल लॉ एक आपातकालीन व्यवस्था है, लेकिन इससे आम नागरिकों के अधिकार प्रभावित होते हैं और क्षेत्र में कड़ी निगरानी रहती है। इस विवाद का जल्द और शांतिपूर्ण समाधान दोनों देशों के लिए आवश्यक है ताकि नागरिकों को होने वाली असुविधा और हिंसा से बचाया जा सके।


नागपुर और देश, दुनियाँ की ताजा ख़बरे हमारे Facebook पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें,
और Telegram चैनल पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



You may also like !

मेरा गाँव मेरा देश

अगर आप एक जागृत नागरिक है और अपने आसपास की घटनाओं या अपने क्षेत्र की समस्याओं को हमारे साथ साझा कर अपने गाँव, शहर और देश को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो जुड़िए हमसे अपनी रिपोर्ट के जरिए. nagpurvocalsteam@gmail.com

Follow us on

Copyright © 2021  |  All Rights Reserved.

Powered By Newsify Network Pvt. Ltd.