नागपुर न्यूज डेस्क: इस बार नागपुर में गणेश चतुर्थी का उत्सव कुछ खास अंदाज में मनाया जा रहा है। शहर में भगवान गणेश की मूर्तियाँ इस बार पूरी तरह गोबर से बनाई गई हैं। पेंच व्याघ्र प्रकल्प के जंगलों से आई ये मूर्तियाँ न केवल आस्था का प्रतीक हैं, बल्कि ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण और पर्यावरण संरक्षण की अनूठी मिसाल भी हैं। पेंच महिला बचत गट की महिलाएं इन मूर्तियों के निर्माण में जुटी हैं और इससे उन्हें स्थायी रोजगार का अवसर भी मिला है।
इस बार इन महिलाओं को ढाई हजार गणेश मूर्तियों का ऑर्डर मिला है। बाजार में जहाँ मिट्टी की एक फीट की मूर्तियाँ 2500 रुपये से कम में नहीं मिलतीं, वहीं गोबर से बनी मूर्तियाँ मात्र 500 रुपये में उपलब्ध हैं। नागपुर में इनकी कीमत 1000 रुपये से कम रहती है। ये मूर्तियाँ कम कीमत, सुंदरता और पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता—तीनों खूबियों का संगम हैं। वन विभाग और नागपुर प्रशासन के सहयोग से अब महिलाएँ जंगल और खेती पर निर्भरता घटाकर गोबर से उत्पाद बनाकर जीविका चला रही हैं।
गणेश विसर्जन के बाद भी यह अभियान जारी रहेगा। ग्रामीण महिलाएं गोबर से आकर्षक दीये बनाएँगी, जो दीपावली पर हर घर को रोशन करेंगे। ये दीये पर्यावरण के अनुकूल होने के साथ-साथ इन महिलाओं के मेहनत और हुनर की भी झलक दिखाएँगे। इससे जंगल की रक्षा भी होगी क्योंकि लकड़ी पर निर्भरता घटेगी और मानव-वन्यजीव संघर्ष कम होगा।
यह पहल तीन कारणों से खास है। पहला, पर्यावरण संरक्षण—गोबर की मूर्तियाँ जल में घुलकर प्रदूषण नहीं फैलातीं। दूसरा, महिला सशक्तिकरण—ग्रामीण महिलाओं को रोजगार और आर्थिक सशक्तिकरण मिला। तीसरा, सस्ती और सुंदर—कम कीमत में हर घर में बप्पा का आशीर्वाद पहुँचा। इस अनूठी पहल से आस्था, पर्यावरण और समाज तीनों को लाभ मिल रहा है।